Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
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एक बात तो मुझे अवश्य कहनी है, और वह यह कि प्रभावक पुरुषों के जीवन की घटनाओं का चित्रण करते समयः उनके त्याग, संयम, तपस्या, शिक्षा-दीक्षा और उनके द्वारा किये गये रचनात्मक कार्यों को अति महत्त्व देना चाहिये, उसके बदले उनकी अनेक चमत्कारिक घटनाओं को बहुत महत्त्व दिया जाता है। बल्कि किसी किसी कवि ने तो गुरुओं की पूजाओं में चमत्कारिक घटनाओं का चित्रण करते समय राजपूती शासन काल को मुस्लिम काल का रूप देकर इतिहास का गला घोंटा है। यहां तक ही नहीं आगे जाकर अंग्रेजों के हाथ भारत को गुलाम बनाने में भी उन गुरुओं का आर्शिवाद फलः बताकर जैन दृष्टि कोण के विपरीत ही नहीं परन्तु उन महा पुरुषों की प्रभावकता का अनादर किया है । परन्तु इस दिशा में भाई श्री डागाजी ने बड़ी सावधानी से काम लिया है,. जिनकी जितनी प्रशंसा की जाय उतनी थोड़ी है।
आप उन व्यक्तियों में से हैं, जो अपने भविष्य का निर्माण अपने हाथों से करते हैं।
आप एक कुशल व्यवसायी. सुयोग्य वक्ता. लेखक एवं विचारक भी हैं। आप की पिछली सभी रचनाओं को जैनजैनेतर समाज ने विशेष आदर पूर्वक अपनाया है।
प्रस्तुत पुस्तक में विषयों का विवेचन इतने सुन्दर ढंग से किया है कि विज्ञ सहृदयी तो लाभ उठा पायेंगे ही किन्तु साथ में साधारण श्रद्धालु लोग भी इसके सहज ज्ञानामृत का पाना
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