Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga

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Page 75
________________ ( ३६ ) मुंशी अब्दुल लतीफ तुम्हारी, आज्ञा शिरधारी । सिरधारी-सिरधारी लीनो ब्रह्मचर्य धारी ॥ पूजन ॥ ५ ॥ ऋषि इन्द्रिय निधि सूर्य वर्षे, सुदी षष्ठी सारी। हाँ ! सारो हाँ सारी ! मास वैशाख का शुभकारी ॥ पूजन ॥ ६ ॥ प्रतिष्ठा होशियारपुर में, मोच्छब अतिभारी। अतिभारी-अतिभारी प्रतिमा आतम मनोहारी ॥ पूजन ।। ७ ।। अवलोकन साहित्य जैन समिति, थापी हितकारी। हितकारी-हितकारी दृष्टि चर्तुमुखी सारो ।। पूजन ॥ ८ ॥ सामाना पटियाला नामा, जीतागढ़ भारी। गढ़ भारी-गढ़ भारी द्वेषी चर्चा गये हारी, ।। पूजन ।। ९ ।। गुजरांवाला धूम मचाई, द्वेषी जन भारी। जन भारी-जन भारी संकट आन पडयो भारी । पूजन ॥ १० ॥ *कमल सूरि पाठक श्रीवीर का, परवाना जारी। हाँ ! जारो-हाँ ! जारी जरुरत है वल्लभ थारी ॥ पूजन ।।११।। गुरु ग्रन्थ वाक्यों पर मरने वाला ब्रह्मचारी। ब्रह्मचारो-ब्रह्मचारी करता विहरण आतभारी ॥ पूजन ॥ १२ ॥ पंजाब केशरी आवे वल्लभ हर्ष थयो भारो। हाँ ! भारी-हाँ ! भारी द्वेषो बैठे चुप्प धारो ॥ पूजन ।। १३ ॥ •पू० आचार्य श्री विजय कमल सूरिजी, * पू० उपाध्याय श्री वीरविजयजी, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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