Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
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( ४३ )
बड़ौदा को वचन दिया, पलटू कैसे आज । रक्षा हेतु वचन की, जाना होगा आज ॥ १८ ॥ धन्य तुम्हारी अमृतवाणी, धन्य तुम्हारा नाम । जय जय शब्द उच्चारता, ले वल्लभ को नाम ॥ १९.॥
आतम वल्लभ पूजतां, पुष्प पूजन सुखदाय । गम्भीरा समुद्र सम, ऋषभ गुरु गुण गाय ॥ २० ॥ ( काव्यम् )
भवि जीव बोधक, तत्व शोधक,
जिन मताम्बुज जगत् वल्लभ विजय वल्लभ,
युग परमेष्ठि पद में मध्य पद के,
धारकम् भव
प्रधान सुरोश्वरम् ॥
गुरुदेव वल्लभ सूरि
सर्व
पूजन,
भास्करम् ।
विघ्न
तारकम् ।
निवारकम् ॥
मंत्र :
ॐ ह्रीँ श्री परम गुरुदेव परम शासन मान्य सूरि सार्वभौम जं० यु० प्र० भट्टारक, जैनाचार्य, श्री श्री १००८ श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर, चरणकमलेभ्यो, पुष्पं यजामहे
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स्वाहा ॥३॥
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