Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
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लाला दौलत रामजी, होशियारपुर सार । इक सौ सोना मोहर से, करे स्वस्तिक श्रीकार ॥ विद्यालय की प्रेरणा, प्रारम्भ कोष भी थाय । हिन्दू मुश्लिम सिक्ख समी, गुरू भक्ति कर पाय ॥ खादी का प्रचार करे, जैन भूषण मुनि राय । वल्लम पूरण योग्यता, मीठा वचन सुहाय ॥ मुसलमान तजे माँस को, लुधियाना सुखदाय । ब्राह्मण तजे शराब को, उपदेश खाली न जाय ॥ केशर चीनी अपवित्र, वस्त्र रेशमी साथ । वस्त्र विदेशी चर्बी का, त्याग करावे नाथ ॥ कमेटी खिलाफत जो, काँग्रेस संग थाय । अन्न वस्त्र भूखे नंगे, गुरु उपदेश से पाय ॥ अम्बाला विद्यालय का, कोष एकत्रित थाय । पुस्तकालय स्थापित किया, भविजन के हितदाय ॥ शांतिनाथ की प्रतिष्ठा, सामाना शुभकार । मालेर कोटला मांस तजे, मुसलमान हितकार ॥ विनती बम्बई नगर से, खबर ले ओ महाराज । विद्यालय महावीर को, लाज रखो गुरुराज || . ललित गणि तैयार हो, गुरु आज्ञा शिरधार ॥ उग्र विहारी जावंता, साधु पाद विहार !
(चाल-धन धन वो जग में नर नार) धन धन विजयवल्लभ सूरि राय, भवोदधि पार लगाने वाले || अ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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