Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
View full book text
________________
(
७४
)
(काव्यम् ) भवि जीव बोधक, तत्व शोधक,
जिन मताम्बुज भास्करम् जगत् वल्लभ विजय वल्लभ,
युग प्रधान सूरीश्वरम् ॥ परमेष्ठिपद में मध्य पद के,
धारकम् भव तारकम् । गुरूदेव वल्लभ सूरि पूजन, ___ सर्व विघ्न निवारकम् ।।
( मन्त्रः ) ॐ ह्रीं श्रीं परम गुरुदेव परम शासन मान्य सूरि सार्वभौम जं. यु० प्र० भट्टारक जैनाचार्य श्री श्री १००८ श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर चरण कमलेभ्यो, फलं यजामहे स्वाहा ।।
॥ कलस ॥ आज गुरुदेव गुण गाया, इह पर लोक सुखदाया । इक्कीस सदो युग प्रधानेश्वर, नहीं कोई दूसरा पाया | अ ॥ हुए अनन्त तीर्थंकर होंगे अनन्त जिनराया ।। वर्तमान चार बीस थाया, अन्तिम महावीर जिनराया ॥१॥ पाटानुपाट पद पाया, तपा गच्छ राज्य दीपाया । तरणि अज्ञान तिमिर सोहे, विजय वल्लभ सूरि राया ॥२
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com