Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga

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Page 104
________________ ( ६८ ) भवि जीव बोधक. जगत् वल्लभ काव्यम् तत्व शोधक, जिन मताम्बुज भास्करम् । विजय वल्लभ, सूरीश्वरम् ॥ युग प्रधान परमेष्ठि पद में मध्य पद के, भव गुरुदेव वल्लभ पूजन, धारकम् सूरि सर्व विघ्न ( मन्त्र : ) ॐ ह्रीं श्रीं परम गुरूदेव, परम सूरि सार्वभौम श्री श्री १००८ चरण तारकम् । निवारकम् ॥ शासन मान्य, जं० यु० प्र० भट्टारक जैनाचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर, कमलेभ्यो नैवेद्य यजामहे स्वाहा ॥७॥ ॥ अथ आठवीं फल पूजा ॥ : दोहा : Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat फल पूजा गुरुराज की, कीजे विविध प्रकार | फल पूजा से फल मिले, सुख सम्पत्ति भंडार || प्रतिष्ठा जिन मन्दिर की, बड़ौदा कर पाय । अभि करना भरता वहाँ, चमत्कार बतलाय ॥ www.umaragyanbhandar.com

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