Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga

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Page 78
________________ चिमन भाई मंगलजी, नगर सेठ पद पाय । सद्गुरु की भक्ति करे, जीवन सफल कहाय ॥ ८ ॥ दीक्षा भूमि स्पर्शता, राधनपुर में आय । होती धरम प्रभावना, संघ सकल सुखदाय ॥ ९ ॥ रस रस निधि रवि-द्वितीया, सुदी मिगसर शुभमास । छ' रि पालता चालता, संघ अति उल्लास ॥ १० ॥ ठाकुर साहब लिमड़ी, आदि सपरिवार ।। प्रवचन श्रवण के लाभ से, आनन्द मंगलकार ॥ ११ ॥ मोतीलालजी मूलजी, संघवी पदवी पाय । तीर्थ माल को पहनते, सिद्धाचल पर जाय ॥ १२ ॥ वल्लभोपुर वल्ला नगरे, जा मत भेद मिटाय । तपा गच्छ लौंका गच्छ में, तत्क्षण शांति थाय ।। १३ ॥ दरवाजा सुन्दर इक दश, धोलेरा में थाय । स्वागत धूम मची अति, भवि जनमन हर्षाय ॥ १४ ॥ ढोल नगारा बाजते, स्थंभन तीरथ मांय । स्वागत वल्लभ का करे, नर नारी हुलसाय ॥ १५ ॥ शाला जैन अमर मध्ये, धर्मोपदेश सुनाय । पोपटभाई अमरचन्द, विनती अर्ज सुनाय ॥ १६ ॥ चर्तुमास फरमावजो, पकड़ तोरे पाय । तुम बिन तारक कोई नहीं कृपा करो गुरुराय ॥ १७ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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