Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
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नाम करेगा रोशन गुरु का, वल्लभ मन सब भायो । विघ्न संतोषी ठण्डे पड़ गये कोर्ति चहुं दिशि छायो ॥ ४ ॥ बक्शी दिवान नांदोद महाराजा, स्वागत धूम मचायो। वल्लम की वक्तृत्व कला पर, मुग्ध अति हो पायो ॥ ५ ॥ राजमहल नरेश बड़ौदा, धर्म उपदेश करायो । न्याय मंदिर व्याख्यान करावे, गुरु सन्मान बढ़ायो ॥ ६ ॥ धर्म तत्व अरु सार्वजनिक मत, वहाँ विषय चर्चायो । अद्वितीय विद्वता सुन्दर शैली, विचारधारा बहायो ॥ ७ ॥ सम्पतराव आदि सब बैठे, व्याख्यानहॉल भरायो । प्रशंसा गुरुवर की करता, विद्वत्त जन समुदायो ॥5॥ ० ७ ९ १ गगन ऋषि निधि चन्द्रमा वर्षे, बम्बई नगर सुहायो । बैण्ड बाजा दश बाजत आगे, स्वागत हर्ष बधायो ॥ ९॥ लाल बाग उपाश्रय आकर, धर्म उद्योत करायो । गरीब अमीर सभी ने मिलकर, औच्छब ठाठ जमायो ॥१० लाभ जन गुरु स्थिरता करते, चातुर्मास बितायो। प्रथम ज्ञान फिर क्रिया मानो, सूत्र सिद्धांत सिखायो ॥११॥ बम्बई महावीर विद्यालय से, ज्ञान की गंगा बहायो। मोतीचन्द गिरधर कापड़िया, सेवा खूब बजायो ॥१२॥ साधक क्षेत्र में महिला शिक्षण, आवश्यक बतलायो । सूरत में जा वनिता आश्रम, स्थापित आप करायो ॥१३॥ दानवीर देवकरण मूलजी, वनथली नगर बधायो । बीसा श्रीमाल जैन बोडिंग, मदद गुरु दिलवायो ॥१४॥
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