Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
View full book text
________________
( ३८ )
नाम ॥
चन्दन कुशल हीर सुमति, वृद्ध साधुगण पास शासन का झण्डा लहे, मुनि वल्लभ विजय खास ॥ विजयानन्द गये स्वर्ग में, हो वल्लभ जयकार । स्मारक गुरु के नाम पर, योजना की तैयार ॥ आतम संवत् जो चला, फैला जग में नाम । सभा पत्रिका विद्यालय, सभी गुरू के समाधि मन्दिर बना, प्रेरक सद्गुरू जैन भवन आत्मानन्द, नाम दिया गया साधु कई दीक्षित किये, साध्वियाँ धर्म प्रचारे जगत् में, वल्लभ नाम ( चाल - कानूड़ा थारी कामण करनारी वृज में बाँसुरिया बाजी ) • वल्लभ सद्गुरू की महिमा जग भारी, पूजन आवे नरनारी । नर नारी - नर नारी गुरु के चरणन् बलिहारी ॥ पूजन || अ ||
खास ।
तास ॥
श्री संघ पंजाब विनवे, मानो अवतारी । अवतारी - अवतारी सूरीश्वर पद अवधारी ॥ पूजन ॥ १ ॥ वयोवृद्ध मुनि जन कई बैठे, ना हो स्वीकारी ।
स्वीकारी स्वीकारी पदवी ना अंगीकारी ॥ पूजन ॥ २ ॥
-
समुदाय ।
दीपाय ॥
धन्य तुम्हारे त्याग का जीवन, पदवी ना धारी ।
ना धारी-ना धारी आतम पट्ट के अधिकारी ॥ पूजन ॥ ३ ॥ दुष्काल भयो मालेर कोटला, पहुंचे उपकारी ।
उपकारी-उपकारी थावे अन्न सत्र जारी ॥ पूजन ॥ ४ ॥
www.umaragyanbhandar.com
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat