Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
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विद्वान लेखक श्री फूलचन्द हरिचन्द दोशी महुवाकर का भी आभार मानता हूँ जिनके द्वारा लिखित युगवीर आचार्य के पाँच भागों का पूरा सहारा लिया है।
इस स्थल पर पंडित श्री प्रभुदत्त शास्त्री का हृदय से आभार मानता हूँ जिन्होंने आदर्श साहित्य संघ के साहित्य प्रकाशन कार्य में व्यस्त रहने पर भी इस पुस्तक पर “एक दृष्टि" लिख कर अपनी उदारता का परिचय दिया है।
मैं उन द्रव्य सहायकों की प्रशंसा किये बिना भी नहीं रह सकता जिन्होंने इस पुस्तक के प्रकाशन में सहयोग दिया है जिनकी सूचि इस पुस्तक में अन्यत्र प्रकाशित की गई है।
स्वर्गीय गुरुदेव के अनेकों आज्ञानुवर्ती साधु-साध्वियों, लाखों भक्तों और उनके सम्पर्क की अनेक चमत्कारी घटनाओं का उल्लेख सम्पूर्ण रूप से मैं इस पूजा में न कर सका क्योंकि पूजा का कलेवर बढ़ जाने का भय सदैव बना रहा। अतः उन सब से मैं हार्दिक क्षमा याचना चाहने के सिवाय कर ही क्या सकता हूँ।
उदयपुर निवासी भाई श्री मनोहरलाल चतुर की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकता जिन्होंने गत गुरु जयन्ति पर आगरा में अपने कर-कमलों द्वारा किये गये श्रीमद् हीर विजय सूरि स्वाध्याय मण्डल के उद्घाटन की यादगार में इस पुस्तक
को अपनी ओर से उदयपुर में प्रकाशन करने की स्वतः उत्कण्ठा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com