Book Title: Yugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Author(s): Rushabhchand Daga
Publisher: Rushabhchand Daga
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वहाँ पर जीर्णोद्धार कार्य कराने का उपदेश देकर प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया। ___ आपने अनेक परिषहों को सहनकर तीस तीस माइल का प्रतिदिन विहार किया तथा चोर लटेरों द्वारा तंग किये जाने पर भी अपने धर्म मार्ग पर हिमालय की भाँति अटल बने रहे।
देश का हिन्दुस्तान और पाकिस्तान में विभाजन होने पर भी तथा गुजरांवाला के उपाश्रय में उनके समीप बम पड़ने पर भी धैर्य नहीं छोड़ा तथा पाकिस्तान से भारत आने पर मार्ग में अनेक संकटों के बावजद समस्त श्रावक श्राविकाओं तथा समस्त साधु साध्वियों को किंचित मात्र भी क्षति न उठाते हुए भारत पहुँचाकर पंजाब केशरी पद को सार्थक किया इन सबका एकमात्र श्रेय आपके अखण्ड ब्रह्मचर्य की प्रभावकता को था
और यही कारण था जो समय समय पर अग्रिम उच्चारण किये वाक्य उनके सत्य ठहरते थे।
वृद्ध अवस्था में आँखों की रोशनी चली जाने पर भी लम्बे लम्बे विहार कर समाज सेवा तथा अनेकों धर्म कार्यों में सदैव तत्पर रहे। ___ जैन मंदिरों तथा जैन तीर्थों के ट्रष्टियों को समझ कर एकत्रित देव द्रव्य का अन्य अन्य तीर्थों पर जीर्णोद्धार में सदुपयोग करने का उपदेश देकर खर्च की दिशा बदलाई।
कभी कोई व्यक्ति आपको मांदगी के समय इतनी वृद्ध अवस्था में आराम करने की विनती करता तो बाप फरमाते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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