Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -Sita O व्य० तिथिवते ॥८॥ रविसंक्रान्तितः सौरः सावनस्तूदयावधिः ॥ नाक्षत्रं भभ्रमादिन्दोश्चान्द्रस्त्रिंश ॥३॥त्तिः स्मृतः ॥ ९॥ चान्द्रोऽपि हिविधः प्रोक्तः शुक्लकृष्णानुसारतः॥ सूर्यचन्द्रान्तरांशैस्तु ज्ञेया बहादशभिस्तिथिः ॥ १० ॥ अथ तिथीशानाह ॥ वहि झाम्बिका चैव गणेशोऽहिर्गु हो रविः ॥ शिवो दुर्गा थमो विश्वे विष्णुः कामः शिवः शशी ॥११॥ (१) पक्ष त्यादितिथीनान्तु पक्ष योरुभयोरपि ॥ एते देवगणाः सर्वे पतयः स्युर्यथाक्रमम् ॥ १२ ॥ अथ तिथीनां विशेषसंज्ञामाह ॥ नन्दा भद्रा जalया रिक्ता पूर्णा च तिथयः क्रमात् ॥ वारत्रयं समावृत्य भवन्ति प्रतिपन्मुखाः ॥ १३ ॥ अथ सि-1 द्धियोगाः ॥ शुक्र नन्दा, बुधे भद्रा, गुरौ पूर्णा, कुजे जया ॥ शनौ रिक्ता, शुभा ज्ञेया सर्वकार्येषु । धीमता ॥ १४ ॥ अथ निम्धयोगाः॥ आदित्यभौमयोनन्दा, भद्रा भार्गवचन्द्रयोः॥ बधे जया . (१) पक्षस्य मूलं पक्षतिः (प्रतिपदित्यर्थः) पक्षात्तिरिति तिप्रत्ययः ॥ O-OH-GCHCONCE+ 5-10 ॥३॥ -- Seto For Private and Personal Use Only

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