Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir व्य. રટ 1-03-BE-09-HS-CHC अथाद्यश्मश्रुकर्म ॥ षष्ठ्यष्टमीश्चतुर्थी च सिनीवाली' चतुर्दशीम् ॥ मवमी चार्कमन्दारान श्मश्रुकर्मणि वर्जयेत् ॥ ५३॥ अथ कर्णवेधः ॥ नो जम्मेन्दुभमाससूर्य्यरविजक्ष्माजाहयाम्यायने शस्ते लघुविष्णुयुग्ममृदुभस्वात्युत्तरादित्यभैः । सौम्येस्त्र्यायत्रिकोणकण्टकगतैः पापैस्त्रिलाभारिंगरोजाब्दे श्रुतिवेष इज्यसितभे लग्ने तु काले शुभे ॥५४॥ अथाक्षर-विद्यारम्भौ यथाक्र-I म॥ शिवाकदिग्विषटशरत्रिके लघश्रवो निलान्त्यभादितोशतक्षमित्रभे शिशोलिपिग्रहः ॥ सु-15 मषकर्कसत्तुलैणहीनसत्तौ रवावुदग्गविष्णुगोरमास्समज़े पञ्चमाब्दके ॥ ५५॥ शुभे दिने शिवादिग्छिके तिथा शुभैरधीतिरुत्तमा त्रिकोणकेन्द्रगै वान्त्यमित्रभे ॥ गुरुद्दयेकजीववितिसरे 5-12 ह्नि षट्शरलिकेश्विमूलपविकात्रये मगात्कराच्छु तेस्त्रये ॥ ५६ ॥ अथोपनयनदिवसमाह ॥ है " चौलादिकं तु यत्कम युगपन्मथिलेषु च । तत्रोपनयन श्रेष्ठं तस्मात्तत्प्रकियोच्यते ॥ ५७ ॥ -SHO5-06-Orbi-tropBhosite ॥२॥ For Private and Personal Use Only

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