Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 26
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir C-0-0-OHS-02-DHS-09- नवान्न नैव नन्दायां न प्रसुप्त जनाईने ॥ नापराह्ने न चापे तुला न कदाचन ॥८॥ नको चैत्रे न त्रयोदश्यां न हिदेवस्थिते रवो ॥ न कुजार्किसि ते वारे न तारासु त्रिजन्मसु ॥ ९॥ अथ की नूतनताम्बूलफलभक्षणविचारः ॥ पुष्योत्तरादितिदिवाकरवाजिपोष्णमूलानुराधवसुबासबवैष्णवेषु ।। वारेषु सौरिधरणीसुतबारवज्यं ताम्बूलनूतनफलाद्यशनं शुभाय॥१०॥ अथ धान्यादिमईनस्थानविचारः॥ प्रसन्नभूमो पुरसन्निधाने प्रोत्तुङ्गदेशेषु खलं विदयात् ॥ वन्ध्याप्रदेशे च पथे च निने भीरुप्रदेशे खलको न कार्यः ॥ ११॥ अथ मेधिस्थापनविचारः॥ बटोदुम्बरनीपानां शाखो टवदरस्य च ॥ शाल्मल्या मुशलेनैव मेधिं कुर्यादिचक्षणः ॥ १२ ॥ कपित्थविल्बबंशानां न च 2 9 मेधिं कदाचन ॥ न पोषे न च भक्तायां न कुजार्किदिने तथा ॥ १३ ॥ मृदुक्षिप्रचरक्षेषु खाते * विषघट्या भएमचन्द्र कृष्णपक्षीयपष्ठमादिषु ममा-पुष-भरणी-श्लेषाद्रास्वपि नेत्यप्यवधयम् । S. S. J. 1006OID For Private and Personal Use Only

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