Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 13-8५) अहाङ- 0 PUSP www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ च ॥ मुनिवृक्षं ब्रह्मवृक्षं वज्र्जयेद्गृहसन्निधौ ॥ ६५ ॥ तिन्तिलीको वटः लक्षः पिप्पलश्व स कोटरः ॥ क्षोरो च कंटकी चैव निषिद्धास्ते महीरुहाः ॥ ६६ ॥ वीजपूरिका उत्पद्यन्ते गृहे यत्र तस्मिन् कृन्तति मूलतः ॥ ६७ यदि मंदिरं ॥ अचिरेणैव कालेन उस जायते ध्रुवं ॥ ६८ ॥ | सादसम्भवा ॥ वर्जयेत्तां प्रयत्नेन यावद्द प्रहरद्वयं ॥ ६९ ॥ म्भवा ॥ छाया वृक्ष ध्वजादीनां सदा दुःखप्रदायिनी ॥ ७० ॥ क्लपक्षे तिथौ शस्ते शुक्रे चन्द्र गुरावपि ॥ तरूणां रोपणं शस्तं म्यन्तास्तिथयः कुजार्कशनयो वाराश्च षष्ठोयुता मासः प्रोष्ठपदस्त्रिविक्रममुखं नक्षत्रषट्कं तथा ॥ त्यक्त्वैतान् वृषसिंहवृश्चिकघटेष्वङ्गेषु भद्रां विना गर्गायाः कदलीक्षुरोपणविधिः शस्तं जगुः सर्वदा षर्जूरी दाडिमी रम्भा कर्कन्धू वृक्षप्रासादिनी च्छाया सच्छन्न' यामादूर्ध्वन्तु या छाया वृक्षप्राप्रथमान्तयामवज्र्जं द्वित्रिप्रहरसअथ वृक्षरोपणदिवसमाह ॥ शु वक्षिप्रमृदूडुभिः ॥ ७१ ॥ शो - For Private and Personal Use Only 33-6H3-06-SAL CASH.3

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