Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कलि व्य - कच स्त्रियो वा पुरुषस्यवा॥ दशम्यांच त्रयोदश्यां द्वितीयायां विवर्जयेत्॥३९॥ अथ वस्त्रप्रक्षालनविचारः॥ ॥१९॥ शनिभौमदिने श्राद्धे कुहूषष्ठीनिरंशके ॥ वस्त्राणां क्षारसंयोगो दहत्यासप्तकं कुलम् ॥ ४०॥ अथ तैलाभ्यंगविचारः॥ वो गुरौ भृगौ भौमे षष्ठ्यां संक्रान्तिवासरे। चित्रावैष्णवहस्तेषु तैलाभ्यंग !! हन कारयेत् ॥४१॥ अथ तैलाभ्यंगे निषिद्धवाराणां प्रतीकारमाह ॥ रवी पुष्पं गुरो दूर्वा भूमि भूमिजवासरे ॥ भार्गवे गोमयं दत्वा तैलदोषोपशान्तये ॥४२॥ सार्षपं सघृतं वापि यतैलं पुष्पवासितम् अदुष्टं पक्वतैलं च स्नानाभ्यंगे च नित्यशः ॥ ४३ ॥ अथ पुंसां वस्त्रधारणदिवसमाह ॥ ब्रह्मानुराधवसुपुष्यविशाखहस्तचित्रोत्तराश्विपवनादितिरेवतीषु ॥ जन्म“जीवबुधशुक्रदिनोत्सवादौ धाऱ्या नवं वसनमीश्वरविप्रतुष्ट्या ॥ १४ ॥ अथ पुंसां भूषणपरिधानदिवसमाह ॥ बुधरमसितवारे त्यक्तरिक्तातिथौ च पितृकरबसुचित्रामैत्रपुष्योत्तरेषु ॥ रजतकनकरत्न शंखदन्तप्रवाल -5-HOT-FANART o ॥१९॥ Sto- --5 For Private and Personal Use Only

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