Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath
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16 दिवसविचारः ॥ तीक्ष्णमिश्रध्र वोर्यदर्द्रव्यं दत्तं निवेशितम् ॥ प्रयुक्तञ्च विनष्टश्च विष्ट्यां पाते च कानाप्यते ॥१॥ न कजाके न संक्रान्तौ न वृद्धो न करक्षके ॥ ऋणं विपश्चिता ग्राह्य न देयं बुध-I
वासरे ॥ १२॥ स्वात्यादित्यहिदैवेषु मृदुपुष्यश्रुतित्रये ॥ सुताष्टधर्मसंशुद्ध चरे कुर्याद्धनक्रियाम् ॥ ४३ ॥ अगवा क्रयविक्रवादिविचारः॥ क्षित्रे शाके धनिष्ठायां विदेवे वारुणेपि च ॥ अरित्या पोष्णभे शस्तो गवाञ्च क्रविक्रयो॥ १४ ॥ प्राजेशचित्रश्रवणोत्तरासु चतुर्दशीदर्शदि-111 नाष्टमीषु ॥ गवान्न कुर्यात्कयविकयञ्च स्थानं प्रवेशं गमनं कथञ्चित् ॥ ४५ ॥ यदुक्त गोकियायाञ्च तिथिवासरभादिकम् ॥ तदेवाजमहिष्यादेः प्रकियायां शुभाशुभम् ॥ ४६॥ अथ वा-2 निनां कमविकयादिदिवसमाह ॥ क्षिप्रान्त्यवसुचान्द्रे षु खात्यादित्यजलेषु च ॥ विरिक्तारदिने । प्रोक्त वाजिकृत्यं मनीषिभिः ॥ १७॥ तिष्याश्विधातृकरसौम्यमघानुराधापौष्णोत्तरादितिमरुद्द्य-16 ॥१५॥
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