Book Title: Vyavahar Ratnam
Author(s): Bhanunath
Publisher: Bhanunath

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 3.69516 9-DAY-00-EDIENCEO.COMKEEPIC चन्द्राथमाह। जन्मेन्दुनन्दामघा च मेपे, वृषे शनिः पंचमहस्त पुर्णाः ॥ स्वाती च युग्मे नवचन्द्रभद्राः कक्कैनुराधावुधयुग्मभद्राः॥४६॥ सिंहे जया षट्क शनिश्च मूलं. पुर्णा शनिर्दिकश्रवणस्त्रियाञ्च ॥ गुरुस्त्रिरिक्ता शतभे तुले च नन्दालिके रेवतिसप्तशुक्राः ॥१७॥ चापे चतुःशुक्रजयाभरयो, मृगेऽष्टमोरोहिणिभौमरिक्ताः॥ कुम्भे जयागुरुरुद्रघाता, झपे भृगुश्चात्यभुजंगपूर्णाः ॥१८॥ विवाहचूडाव्रतवन्धयज्ञ पट्टाभिषेके च तथैव राज्ञः ॥ सीमन्तकार्ये खलु जातके च नो घातच न्द्राद्यमिदं विचिन्त्यम् ॥४९॥ अथ वारविचारः ॥ जीवः शुक्रो वुधश्चन्द्रः शुभाख्यो वासरः ॐ स्मृतः ॥ शनैश्चरो महोसूनुः सूर्यः पापाभिधो भवेत् ॥ ५० ॥ भास्कराङ्गारको रक्तौ, शुक्लौ शु. निशाकरौ॥ पीतौ बुधगुरू ज्ञे यौ, कृष्णो राहुशनैश्चरौ ॥ ५१ ॥ अर्कः शुक्रः कुजो राहुः श-18 निश्चन्द्रो वुधी गुरुः ॥ प्रागादिककुभो नाथाः क्रमात्सूर्यादयो ग्रहाः ॥ ५२ ॥ अथ प्रहरार्द्धगि -09-Ele -10 For Private and Personal Use Only

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