Book Title: Vishwajyoti Mahavira
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 19
________________ विश्वज्योति महावीर महाश्रमण तीर्थकर महावीर अपने युग के एक ऐसे ही अध्यात्मवादी साधक थे । शुद्ध सत्य की खोज में उन्होंने प्राप्त भोग-विलासों को ठुकरा कर साधना का वह अमरपथ अपनाया, जो हजारों-हजार, लाखों-लाख साधकों के लिए एक दिव्यज्योति बन गया । आइए, उस महान् साधक के चरणचिन्हों को दृष्टिगत कर साधना पथ का रहस्य उद्घाटित करें । वैशाली का राजकुमार : वर्धमान आज से लगभग २५ सौ से कुछ अधिक वर्ष पहले की बात है ।' भारत के पूर्वाञ्चल में वैशाली का गणराज्य तत्कालीन संपूर्ण भारत में अपने ऐश्वर्य के शिखर पर था । इसी वैशाली गणराज्य के सुखी एवं समृद्ध नागरिकों के लिए एक बार बुद्ध ने कहा था " देवताओं को देखना हो तो वैशाली के नागरिकों को देख सकते हो । वस्तुतः वैशाली गणराज्य में उस समय धरती पर स्वर्ग ही उतर आया था । वैशाली गणराज्य के महाराजा, आज की भाषा में राष्ट्रपति, चेटक थे, जो आचार्य जिनदास महत्तर के लेखानुसार महावीर के सगे मामा थे । २ 10 वैशाली का एक प्रमुख उपनगर क्षत्रियकुण्ड था, जहाँ ज्ञातृ-गणराज्य के तत्कालीन राजा सिद्धार्थ क्षत्रिय शासन करते थे । इनकी प्रिय पत्नी त्रिशला क्षत्रियाणी थी । महावीर इनकी तीसरी संतान थे । महावीर का पारिवारिक नाम वर्धमान था । वीर, महावीर और सन्मति आदि नाम बाद में कर्मानुसार सर्व साधारण में प्रचलित हो गए । नन्दीवर्द्धन महावीर के बड़े भाई थे, और सुदर्शना बड़ी बहन । महावीर का विवाह राजकुमारी यशोदा से हुआ था । प्रियदर्शना महावीर की इकलौती सन्तान थी, यथानाम तथागुण । श्वेताम्बर दिगम्बर परम्परा के चरित्रभेद से ऊपर के परिचय में कुछ हेरफेर भी हो जाता है । खासकर दिगम्बर संप्रदाय को महावीर का विवाह होना स्वीकृत नहीं है । वास्तव में ये उलट-फेर कुछ खास बात नहीं है । हम यहाँ महावीर की १. इ. पू. ५२७ २. दिगम्बर आचार्य गुणभद्र आदिने चेटक को महावीर का नाना माना है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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