Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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बाह आदि चार भाई और सारथी पाँचों मुनि सनाथ हो गए। चन्द्र की चन्द्रिका से जैसे पर्वत पर ओषधि प्रकट होती है वैसे ही योग के प्रभाव से उनमें निम्न योग शक्तियाँ प्रकट हुई।
(श्लोक ८४१-८४३) १ श्लेषमौषधि लब्धि-ऐसी लब्धि सम्पन्न मुनि का सामान्य थक
यदि कुष्ठरोगाक्रान्त व्यक्ति के शरीर में लेपन कर दे तो कोटिरस से (सुवर्ण तैयार करने का रस) जैसे ताम्र सुवर्ण वर्ण हो जाता है वैसे ही उनका शरीर स्वर्ण कान्तिमय हो जाता है। जल्लोषधि लब्धि-इस लब्धि से सम्पन्न मुनि के कान का मैल, अाँख की गीड और देह का मैल समस्त रोगों का नाश करने
वाला और कस्तूरी की भाँति सुगन्धयुक्त होता है। ३ आमौं षधि लब्धि- अमृत स्नान से जैसे रोगी का रोग दूर
हो जाता है उसी प्रकार ऐसे लब्धि सम्पन्न मुनि के शरीर स्पर्श
से समस्त रोग दूर हो जाते हैं। (श्लोक ८४४-८४६) ४ सर्वोषधि लब्धि-वष्टि या नदी का जल ऐसे लब्धि सम्पन्न मुनि
का शरीर स्पर्श करने से सूर्य का तेज जैसे अन्धकार को नष्ट करता है उसी प्रकार समस्त रोगों को नष्ट करता है। गन्ध हस्ती की मद गन्ध से जैसे अन्य हस्तीगण भाग जाते हैं उसी प्रकार उनका शरीर स्पर्शकारी पवन विष आदि का समस्त दोष दूर कर देता है । यदि विष मिश्रित अन्नादि पदार्थ उनके मुख या पात्र में पा जाए तो वह भी अमृत की भाँति निविष हो जाता है। विष उतारने के मंत्राक्षरों की भाँति उनकी वाणी के स्मरण से महाविष से दुःखग्रस्त मनुष्य का दुःख दूर हो जाता है और स्वाति नक्षत्र में जल शुक्ति में पड़ने पर जिस प्रकार का मोती वनता है उनके नख, केश, दाँत और उनके शरीर में उत्पन्न
समस्त वस्तु औषधि सम हो जाती है। (श्लोक ८४७-८५०) ५ अणुत्व शक्ति-सूत की भाँति सूई के छिद्र में से शरीर को ये
बाहर कर सकते हैं। ६ महत्त्व शक्ति-इससे अपनी देह इतनी बड़ी की जा सकती है
कि मेरु पर्वत उसके घुटनों तक पा सकता है। ७ लघुत्व शक्ति-इससे देह को वायु से भी हल्का किया जा सकता