Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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में बैठकर दक्षिण दिशा से चलकर तिर्यक् गति से नन्दीश्वर द्वीप में जाकर उस द्वीप के ईशान कोण स्थित रतिकर पर्वत पर सौधर्मेन्द्र की भांति अपने विमान को छोटा कर भक्ति भरे हृदय से भगवान् के समीप पाए।
(श्लोक ४३१-४३४) सनत्कुमार नामक इन्द्र अपने बारह लक्ष देवताओं के साथ सुमन नामक विमान में बैठकर वहां आए।
महेन्द नामक इन्द आठ लाख विमानवासी देवताओं सहित श्रीवत्स नामक विमान में बैठकर मन की तरह द्रुतगति से वहां पाए।
__ ब्रह्मन्द नामक इन्द चार लाख विमानवासी देवताओं सहित नन्दावर्त नामक विमान में भगवान् के निकट आए।
लान्तक नामक इन्द पचास हजार विमानवासी देवताओं सहित कामगम नामक विमान में बैठकर जिनेश्वर के समीप पाए ।
शुक्र नामक इन्द चालीस हजार विमानवासी देवतायों सहित प्रीतिगम नामक विमान में बैठकर भगवान् के पास पहुँचे ।
सहस्रार नामक इन्द छह हजार देवताओं के साथ मनोरम नामक विमान में बैठकर प्रभु के निकट पाए।
अानत प्राणत देवलोक के इन्द चार सौ विमानवासी देवताओं सहित विमल नामक विमान में बैठकर पाए।
अरणाच्यूत देवलोक के इन्द तीन सौ विमानवासी देवताओं सहित अतिवेगवान सर्वतोभद विमान में बैठकर पाए।
(श्लोक ४३५-४४२) उसी समय रत्नप्रभा पृथ्वी के भीतर रहने वाले भुवनपति और व्यंसर देवताओं के इन्द के प्रासन भी कम्पित हुए । चमरचंचा नामक नगर में सुधर्मा सभा में चमर नामक सिंहासन पर चमरासुर बैठे थे। उन्हों ने अवधिज्ञान से भगवान् -जन्म जानकर अपने द्रुम नामक सेनापति को समस्त देवताओं को अवगत करवाने के लिए अोघघोषा नामक घण्टा बजाने को कहा। फिर वे चौंसठ हजार सामानिक देवता, तेतीस त्रायत्रिंशक देवता, चार लोकपाल, पांच अग्र महिषी, प्राभ्यंतर, मध्य और बाह्य तीनो सभा के देवता सात प्रकार की सैन्य और सात सेनापति, चारों दिशामों के चौसठ