Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 329
________________ ३२०] गर्भोत्पन्न और विश्व को आनन्द प्रदानकारी सूर्य की तरह हे अभिनन्दन स्वामी पाप मुझ पवित्र करें। ५ मेघ राजा के वंश रूपी वन में मेघ की तरह और मंगला माता रूपी मेघमाला में मोती की तरह हे सुमतिनाथ, मैं आपको नमस्कार करता हूं। ६ धर राजा रूप समुद्र के लिए चन्द्रमातुल्य और सुसीमादेवी रूपा गंगानदी के कमलतुल्य हे पद्मप्रभ, मैं आपको नमस्कार करता श्री प्रतिष्ठ राजा के कुल रूपी गह के प्रतिष्ठा-स्तम्भ रूप और पृथ्वी माता रूपो मलयाचल के लिए चन्दन तुल्य हे सुपार्श्व नाथ ! आप मेरी रक्षा करें। ८ महासेन राजा के वंशरूपी आकाश में चन्द्रतुल्य और लक्ष्मीदेवी के गर्भ रूपी सरोवर के हस समान हे चन्द्रप्रभु, पाप मेरो रक्षा करिए। ९ सुग्रीव राजा के पुत्र और श्रीरामादेवी रूपी नन्दनवन की भूमि पर उत्पन्न कल्पवृक्ष रूप हे सुविधिनाथ ! मेरा कल्याण शीघ्र कीजिए। १० दशरथ राजा के पुत्र नन्दादेवी के हृदय के लिए प्रानन्द रूप और जगत् को आह्लादित करने में चन्द्रमा तुल्य हे शीतल स्वामी ! आप मेरे लिए प्रानन्दमय बनें। ११ श्री विष्णुदेवी के पुत्र, विष्णु राजा के वंश में मुक्ता की तरह और मोक्ष रूपी लक्ष्मी के स्वामी हे, श्रेयांस प्रभो ! आप मेरे कल्याण के कारण बनिए। १२ वसुपूज्य राजा के पुत्र जयादेवी रूप विदुर पर्वत की भूमि पर उत्पन्न रत्नरूप और जगत् के लिए पूज्य हे वासुपूज्य ! प्राप मुझे मोक्ष लक्ष्मी प्रदान करें। १३ कृतवर्म राजा के पुत्र और श्यामादेवी रूप शमीवृक्ष से प्रकटित अग्नि तुल्य हे विमल स्वामी ! पाप मेरे मन को निर्मल करिए ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338