Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy
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[२०५ एक दिन दिग्विजय के न्यास रूप में रक्षित तेजस्वी विशाल चक्ररत्न राजा की आयुधशाला से बाहर निकला और क्षुद्र हिमवन्त पर्वत की ओर पूर्व दिशा के पथ पर चलने लगा। जिस प्रकार जल का प्रवाह नाली पथ से ही जाता है उसी प्रकार चक्रवर्ती चक्र के पीछे-पीछे चलने लगे। गजेन्द्र की तरह लीलामय प्रयाणकारी महाराज भरत कई दिन प्रयाण के पश्चात् क्षुद्र हिमवन्त के दक्षिण भाग की ओर पाए। भोजपत्र, टगर और देवदारु वृक्ष पूर्ण उस प्रदेश के पाण्डुक वन में महाराज भरत ने इन्द्र की भांति छावनी डाली। वहां क्षुद्र हिमाद्रिकुमार देवों के उद्देश्य से ऋषभात्मज ने अष्टम तप किया। कारण, कार्यसिद्धि के लिए तपस्या प्रारम्भिक मंगल है। रात्रि व्यतीत होने पर सूर्य जैसे पूर्व समुद्र से निकलता है उसी प्रकार अष्टम तप पूर्ण होने पर सुबह ही तेजस्वी महाराज रथ पर आरूढ़ होकर छावनी रूपी समुद्र से बाहर निकले और अभिमान सहित शीघ्र गमन कर महाराजों के मध्य अग्रणी उन्होंने अपने रथ के अग्रभाग द्वारा क्षुद्र हिमालय पर्वत पर तीन बार आक्रमण किए । धनुर्धरों की तीर चलाते समय जो प्राकृति होती है उसी प्राकृति में अवस्थित होकर महाराज ने निज नामांकित तीर हिमाचल कुमार देवताओं की ओर निक्षेप किया। पक्षी की तरह बहत्तर योजन पर्यन्त आकाश में उठकर वह तीर हिमाचल कुमार देवता के सम्मुख जाकर गिरा। अंकुश देखकर जैसे उन्मत्त हस्तो क्रुद्ध हो जाता है उसी प्रकार शत्रु-तीर देखकर हिमाचलकुमार देव के नेत्र भी क्रोधारक्त हो गए; किन्तु जब उन्होंने तीर को उठाकर देखा और उस पर अंकित नाम पढ़ा तब उनका क्रोध इस प्रकार शान्त हो गया जैसे दीपक देखकर सर्प शान्त हो जाता है । तब वे प्रधान पुरुष की भांति उस तीर को भी साथ लेकर उपहारों सहित भरतेश्वर के निकट पाए। आकाश में स्थित रहकर जय-जय शब्द उच्चारित कर तीर प्रस्तुतकारक की तरह तीर भरत को दिया और फिर देववृक्षों के पुष्पों से ग्रथित माला, गोशीर्ष चन्दन, सवौं षधि
और द्रह जल आदि चक्रवर्ती को उपहार में दिए । कारण, ये ही सब द्रव्य उनके लिए सार रूप थे। पांवों के कड़े, बाजूबन्द और दिव्य वस्त्र उन्होंने महाराज को दण्ड के रूप में दिए और बोलेहे प्रभो, उत्तर दिशा के प्रान्त भाग में मैं आपके अनुचर की भांति अवस्थान करूंगा।' ऐसा कहकर जब वे चुप हो गए तब भरत ने