Book Title: Trishashti Shalaka Purush Charitra Part 1
Author(s): Ganesh Lalwani, Rajkumari Bengani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 306
________________ [२९७ और चन्द्रभ के निर्वारणकाल का व्यवधान नौ सौ करोड़ सागरोम होगा । ९ काकन्दी नगर में सुग्रीव राजा और रामादेवी के पुत्र सुविधि नामक नवम तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण श्वेत, प्रायु दो लाख पूर्व, शरीर एक सौ धनुष और दीक्षा पर्याय अठ्ठाइस पूर्वाङ्ग (तैतीस कोटि बावन लाख वर्ष) कम एक लाख वर्ष पूर्व होगा । चन्द्रप्रभ और सुविधिनाथ के निर्वाणकाल का व्यवधान नब्बे कोटि सागरोपम होगा । १० भद्दिलपुर में दृढ़रथ राजा और नन्दादेवी के पुत्र शीतल नामक दसवें तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण सुवर्ण-सा, शरीर नब्बे धनुष, आयु एक लाख पूर्व और दीक्षा पर्याय पच्चीस हजार पूर्व होगा । सुविधिनाथ और शीतलनाथ के निर्वाण का व्यवधान नौ करोड़ सागरोपम होगा । ११ विष्णुपुरी के राजा विष्णु और विष्णुदेवी नामक रानी के श्रेयांस नामक पुत्र ग्यारहवें तीर्थकर होंगे । उनका वर्ण सुवर्ण-सा, शरीर अस्सी धनुष, आयु चौरासी लाख वर्ष, दीक्षा पर्याय इक्कीस लाख वर्ष होगा । शीतलनाथ और श्रेयांसनाथ के निर्वारणकाल का व्यवधान छत्तीस हजार छियासठ लाख एक सौ सागरोपम कम एक कोटि सागरोपम होगा । १२ चम्पापुरी के वसुपूज्य राजा और जयदेवी रानी के पुत्र वासुपूज्य नामक बारहवें तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण लाल, आयु बहत्तर लाख वर्ष, शरीर सत्तर धनुष और दीक्षा पर्याय चौवन लाख वर्ष का होगा | श्रेयांसनाथ और वासुपूज्य के निर्वाणकाल का व्यवधान चौवन सागरोपम होगा । १३ कपिल नामक नगर में कृतवर्मा राजा श्रौर श्यामादेवी रानी के विमल नामक पुत्र तेरहवें तीर्थंकर होंगे । उनकी आयु साठ लाख वर्ष, वर्ण सुवर्ण-सा, शरीर साठ धनुष और दीक्षा पर्याय पन्द्रह लाख वर्ष होगा । वासुपूज्य और विमलनाथ के निर्वारणकाल का व्यवधान तीस सागरोपम होगा । १४ अयोध्या के सिंहसेन राजा और सुयशादेवी के अनन्त नामक पुत्र चौदहवें तीर्थंकर होंगे । उनका वर्ण सुवर्ण की भाँति, आयु तीस लाख वर्ष, शरीर पचास धनुष और दीक्षा पर्याय साढ़े सात

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