Book Title: Traivarnikachar Author(s): Pannalal Soni Publisher: Jain Sahitya Prakashak SamitiPage 17
________________ (१०) विषय. ... . . " १०० पृष्ठ, विषय. जप करने योग्य स्थान ... ७४ तिलकोंके पदार्थ जपत्यागके अवसर . . ७४ अक्षत-धारण संध्यावंदन कर्म . ७५ गंधनलेपनका माहात्म्य आचमन करनेके अवसर ७५ गंधलगानेकी उंगलियोंका फल . ९९ संध्याकरनेका समय ७५ तिलक लगाये बिना निषिद्ध कार्य . . . संध्याके तीन भेद ७६ वस्त्राभूषणपर चंदनलेप संध्या का लक्षण ७६ पवित्रक-धारण संध्या न करने का फल ७७ अपनेमें इन्द्रकी स्थापना कालातिकम होने पर विशेष विधि ७७ श्रीपीठ-स्थापन संध्यावंदनविच्छित्तिके अवसर ७७ प्रतिमास्थापन और सिद्धादि संह पासनासंबंधी मंत्र ७७ यंत्रस्थापन ऋषतर्पण मंत्र ८१ जिनचरणप्रक्षालन, जिनाव्हानपितृतपण मंत्र . ८ ८२ स्थापन,-सन्निधिकरण, देवतातर्पण मंत्र ८३ पंचगुरुमुदानिवर्तन, पाद्यविधि, . जिनाचमन और आरती . चौथा-अध्याय । कलशस्थापन और कलशपूजन . १०१ गृहागमन अस्पयं वस्तुएं दशदिक्पाल-पूजन . गृहनिर्माण कलशोद्धरण और जलाभिषेक भोजन शाला आदिका निर्माण पंचामृताभिषेक चैत्यालयगमन, ईर्यापथ शोधन उद्वर्तन और कोणकलशस्नपन - मुखवस्त्रोद्घाटन और जिनमुखा गंधोदक-ग्रहण . . .. १०२ वलोकन अष्टद्रव्यार्चन .१०२ दर्शन-स्तवन सिद्धादियंत्रपूजन जिन पूजाक्रम गर्भगृहमें जिन पूजन और मंडप होमशालामें गमन १०२ मध्य. आगमन ९३ बृहद्वेदिका और उसके चौसठ भाग १०३ मंडप की सजावट आदि . : ९३ जिनप्रतिमास्थापनवेदिका वास्तु आदि देवोंका सत्कार : - ९५ छत्रत्रयादिस्थापन वेदिका .. ..१०३ सरस्वती आदिकी पूजा ९५ कुंड बनानेका स्थान और विधि .. १०३ चन्दनलेप और आभूषण धारण ९५ कुंडोंका प्रमाण और अंतर . , . १०४ तिलकोंके भेद . . . . . .९५ आउदिक्पालपीठ तिलको स्थान और आकार :. ९६ तीन प्रकारकी अग्नियां और चारों वर्णोके जुदे जुदे तिलक. . . . . : ९७ उनके नाम . ९३ शेषाधारणPage Navigation
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