Book Title: Tarangvaikaha
Author(s): Padliptsuri, Nemichandrasuri, 
Publisher: Jivanbhai Chotabhai Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 47
________________ चकवाय सं० तरंग वईकहा ॥२१॥ जुगलणेहो S | पत्तमीसम्म ॥ ६॥ आमरणंतनिरंतरसमरसपेम्मगुणनिगुतो। वम्मो सउणनावसो तावमव्वे चिरनहरोसो उ ॥ ७ ॥ केलनग्गपक्खउ जियज्झउ सोक्खक्खेत्तु अक्खं मइक्खउक्ख उणाहियय मह गुणमएहिं ।।८(?) माई जलब्भसंकायनिम्मिया नेतसिविज्जुयगमणो। वियगमि तेण सहिया कंठाभरणं सरतडाणं ॥९॥ मिसिणीकुंकुमसव्या रायणनेडालिया गिरिनदीणं। पुलिण. खणजोगरत्ता पियमणुरेत्ता वस्सायामि ॥ १० ॥ कण्णरसायणरूएहि एकमेकसो न(नि)बुइकरेहिं । वारपट्ठा हारएहिं रेमिमो मणहरेहिं ॥११॥ अण्णोण्णमणुव्ययामो अण्णोण्णस्सरई अणुकरेमो। अण्णोण्णसमणुरत्ता अण्णोण नेच्छिमो मोतुं ॥१२॥ इय रंगकामक 'अणुत्ताणाहिं दोण्हं पि य(ए)कमेकंति। वट्टाइ विलियविरहिउ निकामउ कमो ॥१३(१)।। अण्णनईसु य बहुसो पउमसरेसु य मणाभिरामेसु । पुलिणेसु वप्पिणेसु य एवं रमिमो मणहरेसु ॥१४॥ अह अण्णया कयाइनाणासउणगणनिहुणमझगया। भागीरहिजलपट्टे रमिमो मणिकोट्टिमगिहमि ।।१५।। एयंमि देसकाले एकल्लो तरच्छ मजिउं एइ। हत्थी मयवसवसं पिसुणो मरायवतपियसरीरो ॥ १६ ॥ रायसिरिचंचलेहि य दुंदुहिगंभीरमहुरसद्देहिं । कण्णेहिं सुइयंतो अंसेसु समावडन्तेसु ॥ १७ ॥ मेहो न्य गुलुगुलेन्तो गिरिसिहराकारपीवरसरीरो। मत्तो पभिण्णु(गण)करडो पंसुहरणपीवरसरीरो ॥ १८ ॥ पुण्णेण सुरमिणा मणहरेण | तस्स मयरासिगंधेणं । वणपायवपुप्फाणं हरिउ गंधसुगंधाणं ॥१९(१) ॥ सो वायुवेगविच्छारिएण नवसत्तिवय(ण)सुभगेण मय-1 जलपवाहगत्तेण रेणुदेसे य वासेतो ॥२०॥ रुंदमि पुलिणजहणंमि सागरवरग्गमहिसीए । मेहलमिव विरयंतो एयगग्गमई ललि| यामइ ॥ २१ ॥ तमियसमं परंतो गंगा पुण तस्स तह य भीयव्य । अवसरिउं य पत्ता संपत्थियघोरवीईहि ॥ २२ ॥ पाउण १ अ० संडायः । २ अ० रत्ता अणु । ३ एक्कमेकः । ४ अ० अणुयत्ता० । ५ अ० कामो। ६ अ० वीइहिं । हत्थिवण्णणं Deeeeeee Jain Educati o na For Private & Personal Use Only ainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130