Book Title: Tarangvaikaha
Author(s): Padliptsuri, Nemichandrasuri, 
Publisher: Jivanbhai Chotabhai Zaveri

View full book text
Previous | Next

Page 89
________________ सं० तरंग वईकहा ॥ ६३॥ सणावइणा वहाएसो zeeranepaneerDUDEN N वित्तं गोसगाममपालभणएहि ॥ ८४ । बहुममरपु(ख)ग्गविहिडियनियत्तणपडियसुहडसट्रेहिं । चोरेहि परिक्खि तो जमो व्य जहा कालपुरिसेहिं ॥८५॥ कोसियनिसरिसको उबद्धमहंतपिंडियाजंघो। कढिणोरू पीण कडी सेण्णयएस्सोहरोवी ॥८६॥ मरणभयसमुत्तत्थेहिं तत्थ अम्हेहिं वेव माणेहिं । सो पंजलि करपुडयाहुडेहिं संपूइओ।।८७॥ चोरो सोणे भयपरिवगकरीए आकूणियाए दिट्ठीए । निझाइय(यइ) निमिसच्छो हरिणमिहुयं व सद्दलो ।।८८॥ ते वि य णे चोरगगो सहावरोदाहिं बाहिं दिट्ठीहिं। दण रूबलायणं जोव्वणं विम्हिओ जाओ ।।८९।। गोमहिलाबंभणघायणाहिं बहयाहि पावबुद्धिहि । निकिवनिग्घिणहियओ | अह सो सेणावई तत्थ ॥९०|| अम्हे य निरिक्खंतो मी(ए)पो कंपरहियं तहिं एक । संदिसइ घोराचारं आमण्णं किं पि कणंमि ९१।। एसो किर देवीए जीवे सेणावईहिं कायव्यो। चाउम्मामसमतो महिलासहिएण पुरिसेण ।।९२ । तत्थ किर मिहुणकमिणं जागे हंतव्वयं तु नवमीए । जह किर न पलायंती तह रक्खसुणं पयत्तेणं ॥९३॥ एवं सोऊण महं हिययं आपूरियं च सयराहं । सोगेण मरणभयमिस्सिएण वित्थारमाणे ॥९४॥ अह सो सामियवयणं कयंजलिपुडो परिग्गहेऊण । नेईय चोरतरुणो निययावासं तओ अम्हे ॥९५॥ गाढयरं वाहिमोडिउं सो तहा तस्स अंगमंगाई । बंधीय पिययमं मे अविराहियवेरिओ चोरो ॥ ९६ ॥ तो गरुडगहियनागपुरिस व्व नागयुक्ती विलवमाणी । पियपुरिसवणसंधुक्किएणं दुक्खेण हं पडियण(या) ॥९७॥ विकिण्णकेसहत्था (य) तत्थ बाहोहरुब्भमाणच्छी । अवयासेमि पिययमं वारंती घणं तस्स ।।९८(१)।। बंधह ममं अणज! जीए करण अयं पुरिसहत्थी। गणियारिहत्थिणीए हथिवारणबद्धो॥ ९१ । उवगृहणयतुट्टा लट्ठा अवि जाणुमाणलंबाओ। पिट्ठीए गाढमिलिया तह बद्धा तु भुया तस्स ॥१०००॥ मोत्तुं च वसमाणी तेण य चोरेण जायरोसेण । पहया तलेहिं निभच्छिया य छूढा य एगंतो॥१॥ Coenaramecome CCA ॥ ६३॥ JainEducation frommandmal For Private & Personal Use Only Minelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130