Book Title: Suyagadam Part 01 Author(s): P L Vaidya Publisher: Motilal ShethPage 54
________________ ૪૮ सूयगडम्मि [1. 11. 16जे केइ लोगम्मि उ अकिरियआया अन्नेण पुट्ठा धुयमादिसन्ति । आरम्भसत्ता गढिया य लोए धम्मं न जाणन्ति विमोक्खहउँ ॥ १६ ॥ पुढो य छन्दा इह माणवा उ किरियाकिरीयं च पुढो य वायं । जायस्स बालस्स पकुव्व देहं पवड्डई वेरमसंजयस्स ॥ १७ ॥ आउक्खयं चेव अबुज्झमाणे ममाइ से साहसकारि मन्दे। अहो य राओ परितप्पमाणे अट्टेसु मूढे अजरामरे व्व ॥ १८॥ जहाहि वित्तं पसवो य सव्वं जे बन्धवा जे य पिया य मित्ता । लालप्पई से वि य एइ मोहं अन्ने जणा तसि हरन्ति वित्तं ॥ १९ ।। सीहं जहा खुडमिगा चरन्ता दूरे चरन्ति परिसंकमाणा । एवं तु मेहावि समिक्ख धम्मं दूरेण पावं परिवजएजा ॥ २० ॥ संबुज्झमाणे उ नरे मईमं पात्राउ अप्पाण निवट्टएजा । हिंसप्पसूयाइँ दुहाइँ मत्ता वेरानुबन्धीणि महब्भयाणि ॥ २१ ॥ मुसं न बूया मुणि अत्तगामी निव्वाणमेयं कसिणं समाहिं । सयं न कुजा न य कारवेजा करन्तमन्नं पि य नाणुजाणे ॥ २२ ॥ सुद्धे सिया जाएँ न दूसएजा अमुच्छिए न य अज्झोववन्ने । धिइमं विमुक्के न य पूयणही न सिलोयगामी य परिवएजा ॥ २३ ॥ निक्खम्म गेहाउ निरावकंखी कायं विउस्सेज नियाणछिन्ने । नो जीवियं नो मरणाभिकंखी चरेज भिक्खू वलया विमुक्के ॥ २४ ॥ त्ति बेमि ॥ समाहियज्झयणं दसमPage Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158