Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः खत्तं बहुओघपयं कालो एगन्तसमाईओ। भावे कम्मभुदओ सो दुविहो ओघुवकमिओ ।। ४६ ॥ उवक्कमिओ संयमविग्धकरे एत्थुवकमे पगयं । दव्ये चउबिहो देवमणुयतिरियायसंवेत्तो ॥ ४७ ॥ एकका य चउविहो अट्टविहो वा वि सोलसविहो वा । घडण जयणा व तेसिं एत्तो वोच्छं अहीयारं ॥ ४८ ॥ पढमम्मि य पडिलोमा होन्ती अणुलोमगा य विइयम्मि । नइए अज्झत्तविसोहणं च परवाइवयणं च ॥ ४९ ॥ हेउमरिमेहि अहेउएहि समयपडिएहि णिउणेहिं । मीलखलियपन्नवणा का चउत्थम्मि उद्देसे ।। ५० ॥
___C H. (1] 1. ;). 1. 12. जह णाम मण्डलग्गेण सि छनण कस्सइ मणुस्सा । अच्छा पगहुत्तो किं नाम तओ ण घेप्पेजा ॥५१॥ जह वा विसगण्डसं कोई घेतृण नाम तुहिको । अन्नण अदीमन्तो किं नाम तओ न व मज्जा ।। ५२ ॥ जह नाम सिरिघराओं कोई ग्यणाणि णाम घेत्तूणं । अच्छेञ्ज पराहुत्तो किं णाम तओ न घेप्पेजा ॥ ५३ ॥
Intro:duction to 1. 4. 1. दव्याभिलावचिन्धे वए भावे य इत्थिणिक्खयो । अहिलाव जह सिद्धी भावे वयम्मि उवउत्तो ॥ ५४ ॥ णामं ठवणादविए खेत्ते काले य पञ्जणणकम्मे । भोग गुणे य भावे दस एए पुरिमणिस्खेवा ॥ ५५ ॥ पढमे संथवसंलबमाइहि खलगा उ होइ सीलस्स । विए इहेव खलियस अवस्था कम्मवन्यो य ॥५६॥ मूग मो मन्नन्ता कइयवियाहिं उवहिप्पहाणाहिं । गहिया हु अभयपजोयकूलवालाइणो वहवे ॥ ५७ ।।
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