Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः
Introduction to 1.6. पाहन्ने महसदो दव्वे खेते य कालभावे य । वीरस्स उ णिक्खेवो चउक्कओ होई णायव्यो ॥ ८३ ॥ थुइणिखेवो चउहा आगन्तुअभूसणेहिं दव्वथुई । भावे सन्ताण गुणाण कित्तणा जे जहिं भणिया ॥ ८४ ॥ पुच्छिसु जम्बुणामो अज सुहम्मा तओ कहेसी य । एव महप्पा वीरो जयमाह तहा जएजाहि ॥ ८५॥
Introduction to 1.7. सीले चउक्क दबे पाउरणाभरणभोयणाईसु । भावे उ ओहसीलं अभिक्खमासेवणा चेव ॥ ८६ ॥ ओहे सांल विरई विरयाविरई य अविरइ असीलं । धम्मे णाणयवाई अपसत्थ अहम्मकोवाइ ॥ ८७ ॥ परिभासिया कुसीला य एत्थ जावन्ति अविरया केई । सुत्ति पसंसा सुद्धो कुत्ति दुगुच्छा अपरिसुद्धो ॥ ८८ ॥ अप्फासुयपडिसेविय णाम भुञ्जो य सीलवाई य । फासु वयन्ति सीलं अफासुया मो अभुञ्जन्ता ॥ ८९ ॥ जह णाम गोयमा चण्डिदेवगा वारिमद्दगा चेव । जे अग्गिहोत्तवाई जलसोयं जे य इच्छन्ति ॥९०॥
Introduction to 1. 8. विरिए छकं दव्वे सच्चित्ताचित्तमीसगं चेव । दुपयचउप्पगअपयं एयं तिविहं तु सञ्चित्तं ॥ ९१ ॥ अचित्तं पुण विरियं आहारावरणपहरणाईसु । जह ओसहीण भणियं विरियं रसवीरियविवागो ॥ ९२ ॥ आवरमे कवयाई चक्काईवं च पहरणे होन्ति । खेत्तम्मि जम्मि खत्ते काले जं जम्मि कालम्मि ॥ ९३ ॥ भावो जीवस्स सीरियस्स विरियम्मि लद्धि णेगविहा ।
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