Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 152
________________ १४६ सूत्रकृताङ्गनिर्युक्तिः आयरिओ यि दुविहो पव्वावन्तो व सिक्खवन्तो य । सिक्खावन्तो दुवि गहणे आसेवणे चैव ॥ १३० ॥ गाहावेतो तिविहो सुत्ते अत्थे य तदुभए चेव । मूलगुण उत्तरगुणे दुविहो आसेवणाए उ ।। १३१ ॥ Introduction to 1. 15. 1. आयाणे गहणम्मि यणिक्खेवो होइ दोण्ह वि चउको । एग नागडं च हो गयं तु आयाणे || १३२ ॥ जं पढमस्सन्तिमए बिइयस्स उ तं हवेज आदिम्मि एएणायाणि एसो अन्नो वि पंजाओ ।। १३३ । णामाई ठवणाई दव्बाई चैव होइ भावाई । दव्वाई पुण दव्वस्त जो सभावो सए ठाणे ।। १३४ ॥ आगमणोआगमओ भावाई तं बुहा उवदिसन्ति । गोआगमओ भावो पञ्चवविहो होइ णायव्वो ।। १३५ ।। आगमओ पुण आदी गणिपिडगं होइ बारस तु । गन्धसिलोगो पदपाद अक्खराई च तत्थादी ।। १३६ ।। Introduction to 1. 16. 1. णामंठवणागाहा दव्वगाहा य भावगाहा य । पोत्थगपत्तगलिहिया सा होई दव्वगाहा उ ।। १३७ ॥ होइ पुण भावगाहा सागारुवओगभावणिष्फन्ना । महुराभिहाणजुत्ता तेणं गाह त्तिणं बिन्ति ।। १३८ ॥ गाहीका व अत्था अहव ण सामुद्दएण छन्देणं । एए होइ गाहा एसो अन्नो वि पजाओ ।। १३९ ॥ पण्णरससु अज्झयणेसु पिण्डियत्थेसु जो अवितह त्ति । पिण्डियवयणेण त्थं गts तम्हा तओ गाहा ।। १४० ॥ सोलसमे अज्झयणे अणगारगुणाण वण्णणा भणिया । गाहासोलसणामं अज्झयणमिणं ववदिसन्ति ।। १४१ ॥

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