Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

Previous | Next

Page 149
________________ १४३ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः ओरस्सिन्दियअज्झप्पिएसु बहुसो बहुविहीयं ॥ ९४ ॥ मणवइकाया आणापाणू संभव तहा य संभव्ये । सोत्ताईणं सद्दाइएसु विसएसु गहणं च ॥ ९५ ॥ उज्जमधिइधीरत्तं सोण्डीरत्तं खमा य गम्भीरं । उवओगजोगतवसंजमाइयं होइ अज्झप्पो ॥ ९६ ॥ सव्वं पि य तं तिविहं पण्डिय बालविरियं च मीसं च । अहवा वि होइ दुविहं अगारअणगारियं चेव ॥ ९७ ॥ Com. on-1. 8. 4. सत्थं असिमाईयं विजामन्ते य देवकम्मकयं । पत्थिववारुणअग्गेय वाउ तह भीसगं चेव ॥ ९८ ॥ Introduction to 1. 9. 1. धम्मो पुबुदिट्टो भावधम्मेण एल्थ अहिगारो। एसेव होइ धम्ने एमेव समाहिमग्गो ति ॥ ९९ ॥ णामंठवणाधम्मो दव्यधम्मो य भावधम्मो य । सञ्चित्ताचित्तमीसगनिहत्थदाणे दवियधम्मे ॥१०० ।। लोइयलोउत्तरिओ दुविहो पुण होइ भावधम्मो उ । दुविहो वि दुविहतिविहो पञ्चविहो होइ णायब्बो ॥१०१॥ पासत्थोसण्णकुसील संथवो ण किर वट्टई काउं । सूयगड अज्झयणे धम्मम्मि निकाइयं एयं ॥ १०२॥ Introduction to 1. 10. 1. आयाणपएणापं गोणं णामं पुणो समाहि त्ति । णिक्खिविऊग समाहिं भावसमाहीइ पगयं तु ॥ १०३॥ णामंठवणादविए खेत्ते काले तहेव भावे य । एसो उ समाहीए णिक्खेवो छबिहो होइ ॥ १०४ ॥ पञ्चसु विसपसु सुभेसु दवम्मि ता भवे समाहि त्ति। खेत्तं तु जम्बि खत्ते काले कालो जहिं जो उ ॥ १०५ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158