Book Title: Suyagadam Part 01 Author(s): P L Vaidya Publisher: Motilal ShethPage 81
________________ 2. 1. 13. 19.] पोण्डरियज्झयणे अणारिया विप्पडिवन्ना तं सदहमाणा जाव इति ते नो हव्वाए नो पाराए अन्तरा कामभोगेसु विसण्णा । चउत्थे पुरिसजाए नियझ्वाइए त्ति आहिए। इच्चेए चत्तारि पुरिसजाया नाणापन्ना नाणाछन्दा नाणासीला नाणादिही नाणाई नाणारम्भा नाणाअज्झवसाणसंजुत्ता पहीणपुव्वसंजोगा आरियं मन्गं असंपत्ता इति ते नो हवाए नो पाराए अन्तरा कामभोगेसु विसण्णा ॥ १२ ॥ से बेमि पाईणं वा ६ सन्तेगड्या मणुस्सा भवन्ति । तं जहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे नीयागोया वेगे कायमन्ता वेगे हस्समन्ता वेगे सुवण्णा वेगे दुवण्णा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे । तेरिं च णं जणजाणवयाई परिग्गहियाइं भवन्ति, तं जहा अप्पयरा भुजयरा वा । तहप्पगारहि कुलेहिं आगम्भ अभिभूय एगे भिक्खायरियाए समुठिया । सओ वा वि एगे नायओ (अणायओ) य उवगरणं च विष्णजहाय भिक्खायरियाए समुट्टिया । असओ वा वि एगे नायओ ( अणायओ ) य उवगरणं च विप्पजहाय भिक्खायरियाए समुडिया । [जे ते सओ वा असओ वा नायओ य अणायओ य उवगरणं च विष्पजहाय भिक्खायरियाए समुढिया ] पुव्वमेवं तेहिं नायं भवइ । तं जहाइह खलु पुरिसे अन्नमन्नं ममहाए एवं विप्पडिवेदेन्ति । तं जहा- खेत्तं मे क्त्थू मे हिरणं मे सुवष्णं मे धणं मे धन्नं मे कंसं मे दूसं मे विपुलघणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलपवालरत्तरयणसन्तसारसावएयं मे । सदा में रूवा मे गन्धा मे रसा मे कासा मे। एए खलु मे कामभोगा अहमवि एणसिं । से मेहावी पुब्बामेव अप्पणो एवं समभिजाणेजा । तं जहा-इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोगायके समुप्पजेजा अणि? अकन्ते अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणामे दुक्खे नो सुहे। से हन्ता भयन्तारो कामभोगाई मम अन्नयरं दुक्खं रोगायक परियाझ्यह अणिडं अकन्तं अप्पियं असुभं अमणुन्नं अमणामं दुक्खं नो सुहं । ता अहंPage Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158