Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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रायगडाम्म
[2. 2. 24. 21
पाउणन्ति पाउणित्ता आवाहसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नसि वा बहूई भत्ताई पञ्चक्खायन्ति, बहूई भत्ताई पञ्चक्खाएत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति, बहूई भत्ताईअणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकन्ता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवन्ति । तं जहा-महिडिएसु महइएसु जाव महासुक्खेसु सेसं तहेव जाव एस ठाणे आरिए जाव एगन्तसम्म साहू । तच्चस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभङ्गे एवं आहिए ॥ अविरई पडुच्च बाले आहिजइ, विरई पडुच्च पण्डिए आहिजइ, विरयाविरई पडुच्च बालपण्डिए आहिजइ । तत्थ णं जा सा सबओ अविरई एस ठाणे आरम्भट्ठाणे अणारिए जाब असव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तमिच्छे असाहू । तत्थ णं जा सा सव्वओ विरई एस ठाणे अणारम्भठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे एगन्तसम्मे साहू । तत्थ णं जा सा सबओ विरयाविरई एस ठाणे आरम्भनोआरम्भहाणे एस ठाणे आरिए जाव सव्वदुक्खपहीणमग्गे एगन्तसम्मे साह ॥ २४॥ .
एवमेव समणुगम्ममाणा इमेहिं चेव दोहिं ठाणेहिं समोअरन्ति । तं जहा-धम्मे चेव अधम्मे चेव उवसन्ते चेत्र अणुवसन्ते चेव । तत्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभङ्गे एवमाहिए, तत्थ णं इमाई तिन्नि तेवहाई पावादुयसयाई भवन्तीति मक्खायाई । तं जहा-किरियावाईणं अकिरियावाईणं अन्नाणियवाईणं वेणइयवाईणं । ते वि परिनिव्वाणमासु मोक्खमाहंसु ते वि लवन्ति, सावगा, ते वि लवन्ति सावइत्तारो॥२५॥
ते सव्वे पावाउया आइगरा धम्माणं नाणापन्ना नाणाछन्दा नाणासीला नाणादिही नाणारई नाणारम्भा नाणज्झवसाणसंजुत्ता एगं महं मण्डलिबन्धं किच्चा सव्वे एगओ चिट्ठन्ति ॥ पुरिसे य सागणियाणं इङ्गालाणं पाइं बहुपडिपुण्णं अयोमएणं संडासएणं गहाय ते सव्वे पावाउए आइगरे धम्माणं नाणापन्ने जाव नाणज्झवसाणसंजुत्ते एवं वयासी।
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