Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

Previous | Next

Page 124
________________ ११८ सूयगडम्मि [2.6.1अदइजज्झयणे छठे 2.6. पुराकडं अद्द इमं सुणेह मेगन्तयारी समणे पुरासी । से भिक्खुणो उवणेत्ता अणेगे आइक्खएहि पुढों वित्थरेणं ॥१॥ साजीविया पट्टवियाथिरेणं सभागओ गणओ भिक्खुमझे । आइक्खमाणो बहुजन्नमत्थं न संधयाई अवरेणं पुव्वं ॥२॥ एगन्तमेवं अदुवा वि एण्हि दोवन्नमन्नं न समेइ जम्हा । पुट्विं च एण्डिं च अणागयं वा एगन्तमेवं पडिसंधयाइ ॥ ३ ॥ समिच्च लोगं तसथावराणं खेमंकरे समणे माहणे वा । आइक्खमाणो वि सहस्समझे एगन्तयं सारयई तहच्चे ॥४॥ धम्मं कहन्तस्स उ नत्थि दोसो खन्तस्स दन्तस्स जिइन्दियस्स । भासाय दोसे य विवजगस्स गुणे य भासाय निसेवगस्स ॥ ५ ॥ महव्वए पञ्च अणुव्वए य तहेव पञ्चासव संवरे य । विरई इह स्सामणियम्मि पुण्णे लवावसकी समणे ति बेमि ॥६॥ सीओदगं सेवउ बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ। एगन्तचारिस्सिह अम्ह धम्मे तवस्सिणो नाभिसमेइ पावं ॥ ७॥ सीओदगं वा तह बीयकायं आहायकम्मं तह इत्थियाओ । एयाइ जाणं पडिसेवमाणा अगारिणो अस्समणा भवन्ति ॥८॥ सिया य बीयोदग इत्थियाओ पडिसेवमाणा समणा भवन्तु । अगारिणो वि समणा भवन्तु सेवन्ति ऊ तं पि तहप्पगारं ॥ ९॥ जे यावि बीयोदगभोइ भिक्खू भिक्खं विहं जायइ जीवियही । ते नाइसंजोगमविप्पहाय कायोवगा नन्तकरा भवन्ति ॥ १० ॥ इमं वयं तु तुम पाउकुव्वं पावाइणो गरिहसि सव्व एव । पावाइणो पुढो पुढो किट्टयन्ता सयं सयं दिहि करोन्त पाउ ११ ते अन्नमन्नस्स उ गरहमाणा अक्खन्ति भो समणा माहणा य । सओ य अत्थी असओ य नत्थि गरहामु दिहिं न गरहामु किंचि१२

Loading...

Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158