Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 142
________________ १३६ सूत्रकृताङ्गनियुक्तिः कालो जो जावइओ जं कीरइ जम्मि जम्मि कालम्मि । ओहेण णामओ पुण करणा एकारस हवन्ति ॥१०॥ बवं च बालवं चेव, कोलवं तेत्तिलं तहा। गरादि वणियं चेव, विही हवइ सत्तमा ॥ ११ ॥ सउणि चउप्पय नागं किंसुग्धं च करणं भवे एयं । . एए चत्तारि धुवा अन्ने करणा चला सत्त ॥ १२ ॥ चाउद्दसि रत्तीए सउणी पडिवजए सया करणं । तत्तो अहकमं खलु चउप्पयं णाग किंसुग्धं ॥१३॥ भावे पओगवीसस पओगसा मूल उत्तरे चेव । उत्तर कमसुयजोवण वण्णाई भोयणाईसु ॥ १४ ॥ वण्णाइया य वण्णाइएसु जे केइ वीससामेला । . ते होन्ति थिरा अथिरा छायातवदुद्धमाईसु ॥ १५ ॥ मूलकरणं पुण सुए तिविहे जोगे सुभासुभे झाणे। । ससमयसुएण पगयं अज्झवसाणेण य सुहेणं ॥ १६ ॥ ठिइअणुभावे बन्धणनिकायणनिहत्तदीहहस्सेसु । . संकमउदीरणाए उदए वेए उवसमे य ॥१७॥ सोऊण जिणवरमयं गणहारी काउ तक्खओवसमं । अज्झवसाणेण कयं सुत्तमिणं तेण सूयगडं ॥ १८ ॥ वइजोगेण पभासियमणेगजोगंधराण साहूणं । तो वयजोगेण कयं जीवस्स सभावियगुणेण ॥ १९ ॥ अक्खरगुणमतिसंघायणाएँ कम्मपरिसाडणाए य । तदुभयजोगेण कयं सुत्तमिणं तेण सुत्तगडं ।। २०॥ सुत्तेण सुत्तिया चिय अत्था तह सूइया य जुत्ता य । तो बहुविहप्पउत्ता एय पसिद्धा अणाईया ॥ २१ ॥ .: दो चेव सुयक्खन्धा अज्झयणाई च होन्ति तेवीसं । ... तेत्तिसुदेसणकाला आयाराओ दुगुणमङ्गं ॥ २२ ॥ .

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