Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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सूयगडम्म
[2.6.26
पिण्णागपिण्डीमवि विद्ध सूले केई परजा पुरिसे इमे ति । अलाउयं वा वि कुमार ति स लिप्पई पाणिवहेण अहं ॥ २६ ॥ अहवा वि विद्रूण मिलक्खु सले पिण्णागबुद्धीह नरं पएञ्जा । कुमारगं वा वि अलाबु ति न लिप्पई पाणिवण अम्हं ॥ २७ ॥ पुरिसं च विण कुमारगं वा मूलंमि केई पऍ जायतेए । पिण्णागपिण्डं सइमारुहेत्ता बुद्धाण तं कप्पर पारणाए ।। २८ ।। सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए भिक्खुयाणं । ते पुण्णखन्धं सुमहं जिणित्ता भवन्ति आरोप्य महन्त सत्ता ॥ २९ ॥ अजोगरूवं इह संजयाणं पावं तु पाणाण पसज्झ काउं । अबोहिए दो वितं असाहु वयन्ति जे यावि पडिस्सुणन्ति ॥ ३० ॥ उ अहे यं तिरियं दिसासु विन्नाय लिङ्गं तसथावराणं । भूयाभिसंकाइ दुगुञ्छमाणे वए करेजा व कुओ विहत्थि ॥ ३१ ॥ पुरिसे त्ति विन्नत्ति न एवमत्थि अणारिए से पुरिसे तहा हु । को संभवो पिण्णगपिण्डियाए वाया वि एसा बुझ्या असच्चा ॥ ३२ ॥ वायाभियोगेण जमावहेजा नो तारिसं वायमुदाहरेजा । अाणमेयं वयणं गुणाणं नो दिखिए बूय सुरालभेयं ॥ ३३ ॥ लद्धे अट्ठे अहो एव तुभे जीवाणुभागे सुविचिन्तिएव । पुव्वं समुई अवरं च पुढे ओलोइए पाणितले ठिए वा ॥ ३४ ॥ जीवाणुभागं सुविचिन्तयन्ता आहारिया अन्नविहीऍ सोहिं । न वियागरे छन्नपओपजीवी एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ।। ३५ ।। सिणायगाणं तु दुवे सहस्से जे भोयए नियए भिक्खुयाणं । असंजय लोहियपाणि से ऊ नियच्छई गरिहमिहेव लोए ॥ ३६ ॥ थूलं उरब्भं इह मारियाणं उद्दिभत्तं च पगप्पएत्ता । लोणतेल्लेण उवक्खडेत्ता सपिप्पलीयं पगरन्ति मंसं ॥ ३७ ॥ तं भुञ्जमाणा पिसियं पभूयं नो ओवलिप्पामु वयं रएणं । saमासु अणजधम्मा अणारिया बाल रसेसु गिद्धा ॥ ३८ ॥
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