Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
________________
१२२
सूयगडम्मि
[2. 6.52संवच्छरेणावि य एगमेगं बाणेण मारेउ महागयं तु । सेसाण जीवाण दयद्वयाए वासं वयं वित्ति पकप्पयामो ॥५२॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणन्ता अणियत्तदोसा । सेसाण जीवाण वहेण लग्गा सिया य थोवं गिहिणो वि तम्हा ॥५३॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं पाणं हणन्ता समणव्वएसु। . आयाहिए से पुरिसे अणजे न तारिसे केवलिणो भवन्ति ॥५४॥ बुद्धस्स आणाएँ इमं समाहिं अस्सि सुठिचा तिविहेण ताई। तरिउं समुदं व महाभवोवं आयाणवं धम्ममुदाहरेज ॥५५॥
ति बेमि ॥ अद्दइजज्झयणं छटुं नालन्दइजज्झयणे सत्तमे
2. 7. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था रिद्धि- . स्थिमियसामिद्धे (वण्णओ) जाव पडिरूवे । तस्स णं रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं नालन्दा नाम बाहिरिया होत्था अणेगभवणसयसंनिविट्ठा जाव पडिरूवा । तत्थ णं नालन्दाए बाहिरियाए लेवे नाम गाहावई होत्था अड्ढे दित्ते वित्ते वित्थिण्णविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजायरूवरजए आओगपओगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए बहुजणस्स अपरिभूए यावि होत्था ॥१॥
से णं लेवे नाम गाहावई समणोवासए यावि होत्था अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ निग्गन्थे पावयणे निस्संकिए निकंखिए निविइगिच्छे लद्धडे गहियढे पुच्छियडे विणिच्छियढे अभिगहियढे अहिमिञ्जा पेमाणुरागरत्ते । अयमाउसो निग्गन्थे पावयणे, अयं अहे, अयं परमहे, सेसे अणडे, उस्सियफलिहे अप्पावयदुवारे चियत्तन्तेउरप्पवेसे चाउद्दसह
Page Navigation
1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158