Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 108
________________ सूयगडम्मि [2. 3. 3. 7सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा नाणावण्णा जाव ते जीवा कम्मोववन्नगा भवन्तीति मक्खायं ॥३॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तजोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु रुक्खेसु मूलत्ताए कन्दत्ताए खन्धत्ताए तयत्ताए सालत्ताए पवालत्ताए पत्तत्ताए पुष्फत्ताए फलत्ताए बीयत्ताए विउदृन्ति । ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारेन्ति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं नाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुव्वन्ति परिविद्धत्थं तं सरीरगं जाव सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं तेसिं रुखजोणियाणं मूलाणं कन्दाणं खन्धाणं तयाणं सालाणं पवालाणं जाव बीयाणं सरीरा नाणावण्णा नाणागन्धा जाव नाणाविहसरीरपुग्गलविउव्विया ते जीवा कम्मोववन्नगा भवन्तीति मक्खायं ॥ ४ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तजोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोववन्नगा कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएहिं रुक्खेहिं अज्झारोहत्ताए विउद्दन्ति । ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा आहारोन्ति पुढवीसरीरं जाव सारूवियकडं सन्तं। अवरे वि य णं तेसिं रुखजोणियाणं अज्झारुहाणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं ॥ ५ ॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगड्या सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा रुक्खजोणिएसु अज्झारोहेसु अज्झारोहताए विउट्टन्ति । ते जीवा तेर्सि रुक्खजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेन्ति । ते जीवा पुढवीसरीरं जाव सारूवियकडं सन्तं । अवरे वि य णं

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