Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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2. 4. 4. 23.] पञ्चक्खाणकिरियज्झयणे नो पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमायाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अभित्तभूए मिच्छासंठिए निचं पसढविउवायचित्तदण्डे । तं जहा पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले ॥ ३॥
आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया दुवे दिइन्ता पण्णता । तं जहा-सग्निदिद्वन्ते य असन्निदिद्वन्ते य । से किं तं सन्निदिहन्ते ? जे इमे सन्निपश्चिन्दिया पजत्तगा एएसिणं छजीवनिकाए पडुच्च, तं जहा-पुढवीकायं जाव तसकायं । से एगइओ पुढवीकारणं किच्चं करेइ वि कारवेइ वि । तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं पुढवीकारणं किचं करेमि वि कारवेमि वि, नो चेव णं से एवं भवइ-इमेण वा इमेण वा से एएणं पुढवीकाएक किचं करेइ वि कारवेइ वि । से णं ताओ पुढवीकायाओ असंजयअविरयअप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे यावि भवइ । एवं जाव तलकाए ति भाणियव्वं । से एगइओ छजीवनिकाएहिं किचं करे वि कारवेइ वि । तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु छजीवनिकाएहिं किचं करेमि वि कारवेमि वि । नो चेव णं से एवं भवइ-इमेहिं वा इमेहि वा, से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं जाव कारवेइ वि । से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं असंजयअविरयअप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्प, तं जहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणछल्ले । एस खलु भगवया अक्साए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सुविणमवि अपलाओ । पावे य से कम्मे कजइ । से तं सन्निदिद्वन्ते ॥ से किं तं असन्निढिन्ते ? जे इमे असन्निणो पाणा, तं जहा-पुढवीकाइया जाव वणलइकाइ छटा वेगइया तसा पाणा, जर्सि नो तक्का इ वा सन्ना इ वा पन्ना इ वा मणा इ वा वई इ वा सयं वा करणाए अन्नेहिं वा कारवेत्तए करतं वा समणुजाणित्तए, ते वि णं वाले सव्वेसि पाणाणं जाव सव्वेसि सत्ताणं डिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा आमित्तभूया मिच्छासंठिया निचं पसढविउवायचित्तदण्डा, तंजहा-पाणाइवाए जाव मिच्छादसणसल्ले। इथेन जाव नो चेव मणो नो चेव वई पाणाणं जाव सत्ताणं दुक्खणयाए
सूयगडं...८
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