Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 117
________________ 22. 1. 2. 20.] किरियज्झयणे च उत्थे यावि भवइ, आया एगन्तदण्डे यावि भवइ, आया एगन्तवाले यावि भवइ, आया एगन्तसुत्ते यावि भवइ, आया आवयारमणवयणकायवक्के यावि भवइ, आया अप्पडिहयअपचक्खायपावकम्मे यावि भवइ । एस खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंबुडे एगन्तदण्डे एगन्तवाले एगन्तसुत्ते से बाले आवियारमणवयणकायवके सुविणमवि न पस्सइ, पावे य से कम्मे कजइ ॥१॥ __तत्थ चोयए पन्नवगं एवं वयासी । असन्तएणं मणेणं पावएणं, असन्तियाए वईए पावियाए, असन्तएणं काएणं पावएणं, अहणन्तस्स अमणक्खस्स अवियारमणवयकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावकम्मे नो कजइ, कस्म णं तं हेउं । चोयए एवं बवीइ । अन्नयरेणं मणेणं पावएणं मणवत्तिए पावे कम्मे कञ्जइ, अन्नयरीए वइए पावियाए वइवत्तिए पाव कम्म काइ, अन्नयरगं कायेणं पावएणं कायवत्तिए पावे कम्मे काइ, हणन्तस्स समणक्खस्स सवियारमणवयकायवक्कस्स मुविणमवि पासओ एवंगुणजाइयस्स पावे कम्मे कजइ । पुणरवि चोयए एवं बवीइ । एत्थ णं जे ते एवमाहंसु-असन्तएणं मणेणं पावएणं, असन्तियाए वइए पावियाए, असन्तएणं कारणं पावएणं, अहणन्तस्स अमणक्खस्स आवियारमणवयणकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावे कम्मे काइ, तत्थ णं जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु । तत्थ पन्नवए चोयगं एवं वयासी । तं सम्मं जं मए पुवं वुत्तं । असन्तएणं मणेणं पावएणं, असन्तियाए वइए पावियाए, असन्तएणं कायेणं पावएणं अहणन्तस्स अमणक्खस्स आवियारमणवयणकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावे कम्मे कजइ, तं सम्मं, कस्स णं तं हेडं । आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया छज्जीवनिकायहेऊ पण्णत्ता । तं जहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया । इच्चेएहिं छहिं जीवनिकाएहिं आया अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे निचं पसढविउवायचित्तदण्डे । तं जहापाणाइवाए जाव परिग्गहे कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले। आचार्य आह

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