Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 116
________________ ११० सूयगडम हरियाले हिङ्गुलए मणोसिला सासगञ्जणपवाले । अब्भपडलब्भवालुयबायरकार मणिविहाणा ॥ २॥ गोमेज Tare अंके फलि य लोहियक्खे य । मरगयमसारगल्ले भुयमोयग इन्दणीले य || ३ || चन्दण गेरुय हंसगब्भ पुलए सोगन्धि य बोद्धव्वे | चन्दप्पभ वेरुलिए जलकन्ते सूरकन्ते य ॥ ४ ॥ [2.3.19.7 भणियव्वाओ गाहाओ एयाओ एए जाव सूरकन्तत्ताए विट्टन्ति । ते जीवा तेसिं नागाविहाणं तस्थावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेति । ते जीवा आहारोन्ति पुढविसरीरं जाव सन्तं । अवरे वियणं तेसिं तसथावरजोणियाणं पुढवीणं जाव सूरकन्ताणं सरीरा नाणावण्णा जाव मक्खायं । सेसा तिण्णि आलावगा जहा उदगाणं ।। १९ ।। अहावरं पुरखायं सव्वे पाणा सच्चे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता नाणाविह जोणिया नाणाविह संभवा नाणाविहवुक्कमा सरीरजोणिया सरीरसंभवा सरीरखुकमा सरीराहारा कम्मोवगा कम्मनियाणा कम्मगइया गम्मठिया कम्मणा चैव विप्परियासमुवेन्ति ॥ से एवमायाणह से एवमायाणित्ता आहारगुत्ते सहिए समिए सया जए त्ति बेमि ॥ २० ॥ आहारपरिनज्झयणं तइयं पच्चक्खाणकिरियज्झयणे चउत्थे 2. 4. सुयं मे आउ तेण भगवया एवमक्खायं । इह खलु पञ्चकखाणकिरिया नामज्झयणे । तस्स णं अयमडे पण्णत्ते । आया अपचक्खाणी यावि भवइ, आया अकिरियाकुसले यावि भवइ, आया मिच्छासंठिए

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