Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth
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९६
सूयगड
[2.2. 23. 30
1
अन्नायचरगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमियपिण्डवाड्या सुद्धेणिया अन्ताहारा पन्ताहारा अरसाहारा विरसाहारा लहाहारा तुच्छाहारा अन्तजीवी पन्तजीवी आयम्बिलिया पुरिमड्डिया निव्विगइया अमजमंसारिणो नो नियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उकडआसणिया नेसञ्जिया वीरासणिया दण्डायझ्या लगण्डसाइणो अप्पाउडा अगत्या अकण्डुया अणिहा ( एवं जोववाइए ) धुयकेसमंसुरोमनहा सव्वगायपडिकम्मविप्यमुक्का चिहन्ति । ते णं एएणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई सामन्नपरियागं पाउणन्ति २ बहुबहु आबाहंसि उपपन्नंसि वा अणुष्पन्नंसि वा बहूई भत्ता पच्चक्खन्ति पच्चक्खाइत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति, अणसणाए छेदत्ता जस्साए कीरइ नग्गभावे मुण्डभावे अण्हाभावे अदन्तवणगे अछत्तए अणोवाहणए भूमिसेजा फलगसेजा कटुसेजा के सलए बम्भचेखासे परघरपवेसे लद्भावलद्धे माणाव माणणाओ लाओ निन्दणाओ खिसणाओ गरहणाओ तञ्जगाओ तालणाओ उच्चावया गामकण्टगा बावीसं परीसहोवसग्गा अहियासिजन्ति तम आराहेन्ति तमहं आराहिता चरमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं अणन्तं अणुत्तरं निव्वाघायं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरनाणदंसणं समुप्पाडेन्ति, समुप्पाडिता तओ पच्छा सिज्झन्ति बुज्झन्ति मुञ्चन्ति परिणिव्यायन्ति सव्वदुक्खाणं अन्तं करन्ति । एगच्चाए पुण एगे भयन्तारो भवन्ति, अवरे पुण पुव्यकम्मावसेसेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववत्ता भवन्ति । तं जहा - महड्डिएस महज्जुइस महापरक्कमेसु महाजसेसु महावलेसु महाणुभावेसु महासुक्खेसु । ते णं तत्थ देवा भवन्ति महड्डिया मह जुझ्या जाव महासुक्खा हारविराइयवच्छा कडगतुडियथम्भियभुया अङ्गयकुण्डलमट्ठगण्डयलकण्णपीढधारी विचित्तहत्याभरणा विचित्त मालामउलिमउडा कल्लाणगन्धपवरवत्थपरिहिया कलाणगपवरमल्लाणुले वणधरा भासुरखोंदी पलम्ववणमालाधरा दिव्वेणं रुवेगं दिव्वणं वण्णेणं
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