Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 79
________________ ७३ 2. 1. 11. 26.] पोण्डरियज्झयणे अहावरे तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिए त्ति आहिजइ । इह खलु पाईणं वा ६ सन्तेगड्या मगुस्सा भवन्ति अणुपुवर्ण लोयं उववन्ना । तं जहाआरिया वेगे जाव तेसिं च णं महन्ते एगे राया भवइ जाव सेणावइपुत्ता । तेसिं च णं एगइए सड्ढी भवह, काम तं सभणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए जाव जहा नए एस धम्मे सुयक्खाए सुपाते भवइ । इह खलु धम्मा पुरिसादिया पुरिलोचरिया पुरिसप्पणीया पुरिससंभूया पुरिखपोइया पुरिसअभिसमभागया पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठन्ति । से जहानालए-गण्डे सिया सरीरे जाए सरीरे संवुढे सरीरे अभिसमन्नागए सरीरमेव अभिभूय चिडइ, एवमेव धम्मा पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिन्ति । से जहानामए-अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुड्डा सरीरे अभिसमन्त्रागया सरीरमेव अभिभूय चिइ, एवमेव धम्मा वि पुरिमादिया जान पुरिममेव अभिभूय चिहन्ति । से जहानामए-वम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंबुढे पुढविअभिसभन्नागए. पुढविमेव अभिभूय चिटइ, बुरिसभेव अभिभूय चिन्ति । एवमेव धम्माधि पुस्लिादिया जाव से जहानामए-रुखे सिया पुढविजाए पुढविसंबुढे पुढविअभिसमबागए पुढविमेव अभिभूय चिढइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभय चिट्ठन्ति । से जहानामए-पुक्खरिणी सिया पुढविजाया जाव पुढविमेव अभिभूय चिहइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्टन्ति । से जहानामए-उदगपुक्खले सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्टइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिटन्ति । से जहानाभए-उदगबुब्बुए सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिइ, एवमेव धम्मा वि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठन्ति । जंपि य इस समणाणं निग्गन्थाणं उदिदं गणीयं वियञ्जियं दुवालसङ्गं गणिपिडगं, तं जहा-आयारो सूयगडो जाव दिहिवाओ, सव्यमेवं मिच्छा, न एयं तहियं न एयं आहातहियं, इमं सर्च इमं तहियं इमं आहातहियं । ते एवं सन्नं कुब्बन्ति, ते एवं सन्नं संठवेन्ति,

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