Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 87
________________ ___८१ 2. 2. 3. 12.] किरियाठाणज्झयणे संपेहाए । तं जहा-नेरइएमु वा तिरिक्खजोणिएसु वा मणुस्सेसु वा देवेसु वा जे यावन्ने तहप्पगारा पाणा विन्नू वेयणं वेयन्ति ॥ तेसिं पि य णं इमाई तेरस किरियाठागाई भवन्तीतिमक्खायं । तं जहा-अहादण्डे १, अणटाइण्डे २, हिंसादण्डे ३, अकम्हादण्डे ४, दिडिविपरियासियादण्डे ५, मोमवत्तिए ६, अदिन्नादाणवत्तिए ७, अज्झत्थवत्तिए ८, माणवत्तिए ९, मित्तदोसवत्तिए १०, मायावत्तिए ११, लोभवत्तिए १२, इरियावहिए १३॥ १॥ पढमे दण्डसमादाणे अट्ठादण्डवत्तिए ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे आयहेउं वा नाइहेउं वा अगारहेडं वा परिवारहेउं वा मित्तहे वा नागहउँ वा भूयहे वा जक्खहेउं वा तं दण्डं तसथावरेहि पाणेहि सयमेव निसिरइ अन्नेग वि निसिरावेइ अन्नं पि निसिरन्तं समणुयागइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । पढमे दण्डसमादाणे अहादण्डवत्तिए ति आहिए ॥ २॥ अहावरे दोचे दण्डसमादाणे अणहादण्डवत्तिए त्ति आहिजड् । से जहानामए-केइ पुरिने जे इमे तसा पागा भवन्ति ते नो अचाए नो अजिगाए नो मंसाए नो सोगियाए एवं हिययाए पित्ताए वसाए पिच्छाए पुच्छाए वालाए सिंगाए विसाणाए दन्ताए दाढाए नहाए हारुगिए अट्टीए अहिभञ्जाए नो हिसिंसु मे त्ति नो हिंसन्ति मे त्ति नो हिंसिस्सन्ति मे ति नो पुत्तपोसणाए नो पसुपोसणाए नो अगारपरिवहणयाए नो समणमाहणवत्तणाहेउं नो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवन्ति । से हन्ता छेत्ता भेत्ता लुम्पइत्ता विलुम्पइत्ता उदवइना उझिउं वाले वेरस्स आभागी भवइ अणहादण्डे । से जहानामए के पुरिसे जे इसे थावरा पाणा भवन्ति । तं जहा-इकडा इ वा कडिणा इ वा जन्तुगा इ वा परगा इ वा मोक्खा इ वा तणा इ वा कुसा इ वा कुच्छगा इ वा पव्वगा इ वा पलाला इ वा, ते नो पुत्तपोस मूयगड-६

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