Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 89
________________ 2. 2. 8.5.] किरियाठाणज्झयणे तणगं कुमुदुगं वीहोऊसियं कलेसुयं तणं छिन्दिस्सामि त्ति कटु सालिं वा वीहिं वा कोदवं वा कंगुं वा परगंवा रालयं वा छिन्दित्ता भवइ । इति खलु से अन्नस्स अट्टाए अन्नं फुसइ अकम्हादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं :आहिजइ । चउत्थे दण्डसमादाणे अकम्हादण्डवत्तिए आहिए ॥५॥ अहावरे पञ्चमे दण्डसमादाणे दिडिविपरियासियादण्डवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए केइ पुरिसे माईहिं. वा पिईहिं वा भाईहिं वा भगिणीहिं वा भजाहिं वा पुत्तेहिं वा धूयाहिं वा सुण्हाहिं वा सद्धिं संवसमागे भित्तं अमित्तमेव मन्नमाणे मित्ते हयपुव्वे भवइ दिडिविपरियासियादण्डे । से जहानामए-केइ पुरिसे गामघायांस वा नगरपायसि वा खेडघायांस कब्बडधायंसि मडंबधायसि वा दोणमुहघायांस वा पट्टणघायसि वा आसमघायंसि वा संनिवेसवायसि वा निग्गमघायसि वा रायहाणिघायंसि वा अतेणं तेणमिति मन्नमाणे अतेणे हयपुवे भवइ दिद्विविपरियासियादण्डे । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । पञ्चमे दण्डसमादाणे दिडिविपरियासियादण्डवत्तिए त्ति आहिए॥६॥ __ अहावरे छट्टे किरियहाणे मोसावत्तिए ति आहिजइ । से जहानामए केइ पुरिसे आयहेउं वा नाइहेउं वा अगारहेउं वा परिवारहेडं वा सयमेव मुसं वयइ मुसं वयन्तं पि अन्नं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । छठे किरियहाणे मोसावत्तिए त्ति आहिए ॥ ७॥ __ अहावरे सत्तमे किरियहाणे अदिन्नादाणवत्तिए त्ति आहिजइ । से जहानामए-केइ पुरिसे आयहउँ वा जाव परिवारहेडं वा सयमेव अदिन्नं आदियइ अन्नेणं वि अदिन्नं आदियावेइ अदिन्नं आदियन्तं अन्न समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । सत्तमे किरियहाणे अदिन्नादागवत्तिए ति आहिए ॥ ८॥

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