Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

Previous | Next

Page 93
________________ 1. 2. 115. (5.] किारयाठाणज्झयणे अदुत्तरं च णं पुरिमविजयं विभङ्गमाइक्खिस्सामि । इह खलु नाणापन्नाणं नागाछन्दागं नागासीलाणं नागादिट्ठीणं नाणारूईणं नाणारम्भाणं नाणज्झवसाणसंधुत्ताणं नाणाविहपावसुयज्झमणं एवं भवइ । तं जहा---भोमं उप्पायं सुविणं अन्तलिक्खं अङ्गं सरं लक्षणं वञ्जणं इन्थिलक्षणं पुरिसलवणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्षणं मेण्डलावणं कुक्कुडलक्षणं तित्तिरलखणं वडगलक्षणं लावयलक्षणं चकलक्खणं छत्तलखणं चम्मलक्षणं दण्डलक्षणं अमिलक्खणं भगिलक्षणं कागिणिलक्खणं सुभगाकरं दुमगाकरं गभाकरं मोहगकरं आहव्यगि पागसासणिं दबहोमं खत्तियविजं चन्दचरियं सूरचारियं सुकचरियं बहस्सश्चरियं उक्कापायं दिसादाह मियचकं बायसपरिमण्डलं पंमुत्रुटि केसवुद्धि मंसवुद्घि रुहिरवुद्घि वेयालिं अवेयालिं ओलोगि तालम्घाडणिं सोवागिं सोवारिं दामिलिं कालिङ्गिं गोरि गन्धारि ओवयागि उप्पयाग जम्भणिं थम्भणि लेसणिं आमयकरणिं विमल्लकगणं पकमणिं अन्तद्वाणिं आयामणिं, एवमाइयाओ विजाआ अन्नस्य उं, पउन्लि पाणस्स हेउं पउञ्जन्ति वत्थस्स हेडं पउञ्जन्ति लेणस्प हे पउचन्नि मयणस्म हेउं पउन्नन्ति, अन्नसिं वा विरूबरूवाणं कामभोगाग हेउं पउञ्जति । तिरिच्छं ते विजं सेवन्ति, ते अणारिया विपडियन्ना कालमासे कालं किच्चा अन्नयराई आसुरियाई किब्बिसयाई ठाणाई उबवत्तारो भवन्ति । तओ वि विप्पमुञ्चमाणा भुजा एलयूययाण तमनन्धयाए पचायन्ति ॥ १५ ॥ से एगइओ आयहउँ वा नायहेडं वा सयणहेउं वा अगारहेडं वा परिवारहेउं वा नायगं वा सहवासियं वा निस्साए अदुवा अणुगामिए १ अदुवा उपचगए २ अदुवा पडिपहिए ३ अदुवा संधिच्छेयए ४ अदुवा गठिच्छेयए ५ अदुवा उरब्भिए ६ अदुवा सोवरिए ७ अदुवा वागुरिए ८ अदुवा साउगिए ९ अदुवा माच्छए १० अदुवा गोवायए ११ अदुवा गोवालए १२ अदुवा सोवगिए १३

Loading...

Page Navigation
1 ... 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158