Book Title: Suyagadam Part 01 Author(s): P L Vaidya Publisher: Motilal ShethPage 90
________________ [2.2.9.1 अहावरे अट्टमे किरियाणे अज्झत्थवत्तिए त्ति आहिजड़ । से जहानामए - केइ पुरिसे नत्थि णं के. किंचि विसंवादेइ सयमेव हीणे. द दुडे दुम्मणे ओहयमण संकष्पे चिन्तासोगसागरसंपविट्टे करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्झाणो गए भूमिगयदिडिए झियाइ, तस्स णं अज्झत्थया आसंसइया चत्तारि ठाणा एवमाहिञ्जन्ति । तं जहा- कोहे माणे माया लोहे | अज्झत्थमेव कोहमाणमाया लोहे । एवं खलु तरस तप्पत्तियं सावजं ति आहिजइ । अमे किरिया अज्झत्थवत्तिए त्ति आहिए ॥ ९ ॥ ૮૪ सूड अहावरे नवमे किरियाणे माणवत्तिए ति आहिजड़ से जहा - नाम - केइ पुरिसे जाइएण वा कुलमण वा बलमएण वा रूवमएण वातवरण वा सुयमएण वा लाभमएण वा इस्सरियमएण वा पन्ना - मण वा अन्नयरेण वा मयहाणेणं मत्ते समाणे परं हीलेइ निन्देइ खिंसह गरहइ परिभवइ अवमनेर, इत्तरिए अयं, अहमंसि पुण विसिहजाइकुलबलाइगुणोववेए | एवं अप्पाणं समुकस्से, देहचुए कम्मबिइए अवसे पयाइ । तं जहा - गन्भाओ गब्र्भ ४ जम्माओ जम्मं माराओ मारं नरगाओ नरगं चण्डे थद्वे चवले माणी यावि भवइ । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजं ति आहिजड़ | नवमे किरियाणे माणवत्ति ति आहिए ।। १० ।। अहावरे इसमे किरियाणे मित्तदोसवत्तिए त्ति आहिजड़ । से जहानामए - केइ पुरिसे माहिं वा पिईहिं वा भाईहिं वा भइणीहिं वा भजाहिं वा धूयाहिं वा पुत्तेहिं वा सुम्हाहिं वा सद्धिं संवसमाणे तेसिं अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दण्डं निवत्तेइ । तं जहा सीओदगवियसि वा कार्य उच्छोलित्ता भवइ, उसिणोदगवियडेण वा कार्य ओसिञ्चित्ता भवइ, अगणिकायेणं कार्यं उवडहित्ता भवद्द, जोतेण वा वेत्तेण वा नेत्तेण वा तयाइ वा [ कण्णेण वा छियाए वा ] लयाए वाPage Navigation
1 ... 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158