Book Title: Suyagadam Part 01
Author(s): P L Vaidya
Publisher: Motilal Sheth

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Page 85
________________ 2. 1. 15. 50.] पोण्डरियज्झयणे कोहाओ मागाओ मायाओ लोभाओ पेजाओ दोसाओ कलहाओ अब्भक्खाणाओ पेसुन्नाओ परपरिवायाओ अरइरईओ मायामोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए से भिक्खू । जे इमे तसथावरा पाणा भवन्ति ते नो सयं समारम्भइ नो वन्नेहिं समारम्भावेइ अन्ने समारम्भन्ते वि न समणुजाणइ इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए से भिक्खू । जं पि य इमं संपराइयं कम्मं किजइ, नो तं सयं करेइ नो अन्नाणं कारवेइ अन्न पि करेन्तं न समगुजाणइ, इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए । से भिक्खू जाणेजा असणं वा ४ अस्सि पडियाए एगं साहम्मियं समुदिरस पाणाई भ्याई जीवाई सत्ताई समारम्भ समुहिस्स कीयं पामिचं अच्छिजं अनिसहं अभिहडं आहहुदेसियं तं चेइयं सिया तं ( अप्पणो पुत्ताइणट्टाए जाव आएसाए पुढो पहेणाए सामासाए पायरासाए संनिहिसंनिचओ किजइ इह एएसिं माणवाणं भोयणाए ) नो सयं भुञ्जइ नो अन्नेणं भुञ्जावेइ अनं पि भुञ्जन्तं न समगुजाणइ, इति से महओ आयाणाओ उवसन्ते उवहिए पडिविरए । तत्थ भिक्खू परकडं परनिडियमुग्गमुपायणे सणासुद्धं सत्थाईयं सत्थपरिणामियं अविहिसियं एसियं वेसियं सामुदागियं पत्तमसणं कारणहा पमाणजुत्तं अक्खोवजणवणलेवणभूयं संजमजायामायावत्तियं बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं आहारं आहारेजा अन्नं अन्नकाले पाणं पाणकाले वत्थं वत्थकाले लेणं लेणकाले सयणं सयणकाले । से भिक्ख मायन्ने अन्नयरं दिसं अणुदिसं वा पडिवन्ने धम् आइक्खे विभए किट्टे उबटिएसु वा अणुवट्टिएसु वा सुस्मसमासु पवेयए, सन्तिविरई उपसमं निव्याणं सोयवियं अञ्जवियं महावियं लाघवियं अणइवाइयं सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसि भूयाणं जाव सत्ताणं अणुवाई किट्टए धम्म । से भिक्खू धम्म किट्टमाणे नो अन्नस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो पाणस्स हे धम्ममाइक्वेजा, नो वत्थस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो लेणस्स हेडं धम्ममाइक्खेजा, नो

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