Book Title: Suyagadam Part 01 Author(s): P L Vaidya Publisher: Motilal ShethPage 83
________________ 2. 1. 11. 14.] पोण्डरियज्झयणे ७७ विप्पजहइ, नाइसंजोगा वा एगया पुधिं पुरिसं विष्पजहन्ति, अन्ने खलु नाइसंजोगा अन्नो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अन्नभन्नेहिं नाइसंजोगेहिं मुच्छामो, इति संखाए णं वयं नाइसंजोगं विप्पजहिस्सामो । से मेहावी जाणेजा बहिरङ्गमेयं, इणमेव उवणीययरागं । तं जहा-हत्था मे पाया मे बाहा मे उरू मे उयरं से सीसं मे सील मे आऊ मे बलं मे वणो मे तया में छाया मे सोयं मे चक्खू मे घाणं मे जिब्भा मे फासा मे प्रमाइजइ, वयाउ पडिजूरइ । तं जहा-आउओ बलाओ वण्णाओ तयाओ छायाओ सोयाओ जाव कासाओ। सुसंधिओ संधी विसंधीभवइ, वलियतरंगे गाए भवइ, किण्हा केसा पलिया भवन्ति । तं जहा-जंपि य इमं सरीरगं उरालं आहारोवइयं एयं पि य अणुपुव्वेणं विप्पजहियव्वं भविस्मइ । एवं संखाए से भिक्खू भिक्खायरियाए समुट्ठिए दुहओ लोगं आणेजा, तं जहा-जीवा चेव अजीवा चेव, तसा चेव थावरा चेव ॥१३॥ इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, सन्तेगड्या समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, जे इमे तसा थावरा पाणा ते सयं समारभन्ति अनेण वि समारम्भावेति अन्नं पि समारभन्तं समगुजाणन्ति । इह खलु गारत्था सारम्भा सपरिग्गहा, सन्तेगइया समणा माहणा वि सारम्भा सपरिगहा, जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते सयं परिगिण्हन्ति अन्नेण वि परिगण्हावेन्ति अन्नं पि परिगिव्हन्तं समणुजाणन्ति । इह खलु गारत्था सारम्मा सपरिग्गहा, सन्तेगड्या समणा माहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, अहं खलु अणारम्भे अपरिग्गहे, जे खलु गारत्था सारम्भा सपरिगहा, सन्तेगड्या समणा भाहणा वि सारम्भा सपरिग्गहा, एपसिं चेव निस्साए बम्भचेरवास वसिस्सामो । कस्स णं तं हेडं ? जहा पुयं तहा अबरं जहा अवरं तहा पुर्व, अजू एए अणुवरया अगुवहिया पुणरवि तारिसगा चेव । जे खलु गारत्था सारमा सपरिगहा, सन्तेगड्या लममा माहगा वि सारमा सपरिग्गहा, दुहओ पावाई कुव्बन्ति शति सवार दोहि वि अन्तेहिं अदिस्समागो इति भिक्खू रीएजा । सेPage Navigation
1 ... 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158